नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन विभाग (Department of Personnel) के मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के 2023 के बैच में इस सेवा के इतिहास में महिलाओं के सबसे बड़े प्रतिनिधित्व की सराहना करते हुए कहा है कि मोदी सरकार के समय में महिलाओं के नेतृत्व में विकास की पहल को अभूतपूर्व गति मिली है। इस बैच में आधे से अधिक अधिकारी इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के हैं। डॉ सिंह राजधानी में रविवार को 2023 बैच के प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस बैच में 74 महिला अधिकारी हैं जो बैच के कुल 180 अधिकारियों का 41 प्रतिशत है।
यह कार्यक्रम सहायक सचिव कार्यक्रम का हिस्सा था। इन आईएएस अधिकारी प्रशिक्षुओं को इस हाम पहली तारीख से से 30 मई तक आठ सप्ताह के लिए 46 केंद्रीय मंत्रालयों से संबद्ध किया गया है ताकि उनको नीति निर्माण और केंद्र सरकार के कामकाज की प्रारंभिक जानकारी मिल सके।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के दूरदर्शी नेतृत्व में महिलाओं के नेतृत्व वाली पहलों को अभूतपूर्व गति मिली है। उन्होंने कहा,‘‘प्रधानमंत्री हमेशा से महिला सशक्तिकरण के समर्थक रहे हैं। यह रिकॉर्ड प्रतिनिधित्व समावेशी और प्रगतिशील शासन के प्रति उनके अटूट समर्थन का प्रमाण है।’’
उन्होंने कहा कि 2015 में सहायक सचिव कार्यक्रम की शुरुआत की गयी । यह भी प्रधानमंत्री मोदी की ही सोच की देन है। इसके पीछे विचार है कि युवा अधिकारियों को उनके करियर की शुरुआत में ही वास्तविक समय में शासन का अनुभव मिल सके।
इस पहल की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर, डॉ. सिंह ने योग्य और आत्मविश्वासी लोक सेवकों को तैयार करने में इसके उल्लेखनीय प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने लोक सेवाओं के लोकतंत्रीकरण की भी सराहना की जिसमें पंजाब, हरियाणा और पूर्वोत्तर जैसे राज्यों से प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है जबकि पहले इन क्षेत्रों से कम चयन होते थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 के बैच के आईएएस अधिकारियों में 99 (आधे से अधिक) अधिकारी इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से हैं, साथ ही कई चिकित्सा और अन्य तकनीकी क्षेत्रों से हैं।
उन्होंने कहा,‘‘कई सालों तक मैं सोचता रहा कि टेक्नोक्रेट लोक सेवाओं में क्यों शामिल होते हैं। लेकिन अब मुझे एहसास हुआ है कि डिजिटल इंडिया से लेकर स्मार्ट सिटीज तक के प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों की तकनीकी प्रकृति उनकी उपस्थिति को राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।’’
उन्होंने अधिकारियों से तकनीकी रूप से आगे रहने और आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का पूरा उपयोग करने का आग्रह किया। यह एक डिजिटल लर्निंग व्यवस्था है जो लगातार अपडेट किए गए क्षमता निर्माण मॉड्यूल प्रदान करता है। उन्होंने कहा,‘‘आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे सर्वोत्तम समय में हैं, जब भारत तेजी से ‘विकसित भारत एट2047’ बनने की ओर बढ़ रहा है।’’
डॉ. सिंह ने अधिक गतिशील और लचीले लोक सेवा तंत्र के प्रति समर्थन व्यक्त किया, जहां अधिकारियों को कुछ वर्षों के लिए सरकार के बाहर अनुभव प्राप्त करने और उस क्षेत्र के विशेषज्ञ के रूप में वापस लौटने की अनुमति दी जा सकती है। यह एक ऐसा मॉडल जिसे उन्होंने अधिकारी और सरकार दोनों के लिए बराबरी का अवसर कहा।
उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि मानवीय बुद्धिमत्ता और सहानुभूति को प्रौद्योगिकी का पूरक होना चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘शिकायतों का तकनीकी रूप से समाधान करने के बावजूद, कई नागरिक अभी भी भावनात्मक रूप से असंतुष्ट महसूस करते हैं। इसीलिए हमने भावनात्मक समाधान प्रदान करने के लिए एक ‘मानव डेस्क’ बनाया है, जो साबित करता है कि शासन केवल प्रशासनिक नहीं है बल्कि गहराई से मानवीय है।’’
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