जब हम कोई पूजा या धार्मिक गतिविधि शुरू करते हैं, तो सबसे पहले हम वहां एक टीला (पत्थर) रखते हैं। आलोचना सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई गहरे कारण हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि तिल लगाने से आपको क्या लाभ मिलता है? तिल हमारे शरीर और मन को सकारात्मक ऊर्जा देता है। ज्योतिषाचार्य अशोक पंडित जानकारी दे रहे हैं कि कैसे लगाएं टीला, किन बातों का रखें ध्यान और क्या हैं इसके फायदे।
पेड़ लगाने के क्या लाभ हैं?
हल्दी लगाने से स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे एकाग्रता और मन की शांति में मदद मिलती है।
तिल लगाने से ग्रहों की ऊर्जा संतुलित होती है और नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है।
सही तरीके से तिल लगाने से सौभाग्य प्राप्त होता है।
तिल पूजा के दौरान ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
तिला रोपण के नियम क्या हैं?
तिलक हमेशा स्नान के बाद लगाना चाहिए। बिना स्नान किये तिलक नहीं लगाना चाहिए।
सबसे पहले अपने पसंदीदा देवी-देवता को तिलक लगाएं और फिर स्वयं को लगाएं।
आपको हमेशा अपनी अनामिका (सबसे छोटी उंगली के बाद वाली उंगली) का उपयोग करके ही तिलक लगाना चाहिए।
रात को सोने से पहले अपना चेहरा अच्छी तरह से धो लें और तिल को हटा दें।
यदि आप रात को सोते समय अपने पास कोई टीला रखते हैं तो उसकी ऊर्जा आपके लिए हानिकारक हो सकती है।
तिलक के प्रकार और उसके लाभ
चंदन पाउडर एकाग्रता बढ़ाता है।
केसर और मेथी के बीज आकर्षण बढ़ाते हैं और आलस्य को दूर करते हैं।
केसर का तिलक यश बढ़ाता है और कार्य पूरे करता है।
गोरोचन की माला लगाने से विजय प्राप्त होती है।
अष्टगंध तिल बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाता है। मन शांत एवं शुद्ध हो जाता है।
राख या भस्म का एक टीला आपको दुर्घटनाओं और अदालती मामलों से बचाता है।
ग्रहों के अनुसार तिलक कैसे लगाएं?
तिल लगाने से आप अपने ग्रहों को सुधार सकते हैं, उन्हें मजबूत कर सकते हैं और उनसे लाभ उठा सकते हैं। आइए जानते हैं किस ग्रह को मजबूत करने के लिए कौन सा तिल लगाना चाहिए...
सूर्य देव के लिए – अपनी अनामिका उंगली पर लाल चंदन का लेप लगाएं।
चन्द्रमा के लिए - छोटी उंगली पर सफेद चंदन का लेप लगाएं।
मंगल के लिए – अनामिका अंगुली पर नारंगी रंग का सिंदूर लगाएं।
बुध के लिए - छोटी उंगली पर एक चुटकी अष्टगंध लगाएं।
बृहस्पति (बृहस्पति) के लिए – अपनी तर्जनी उंगली से केसर का धागा लगाएं।
शुक्र के लिए - सबसे पहले अपनी अनामिका अंगुली से चावल के पेस्ट की एक परत लगाएं और फिर उस पर अखंडित चावल रखें।
शनि, राहु और केतु के लिए – धूपबत्ती की राख या कोयले को तीन अंगुलियों से सीधी रेखा में माथे पर लगाएं।
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Wed, Apr 09 , 2025, 10:00 AM