Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। नवरात्रि के दिन देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्या पूजन (Kanya Pujan) को कंजक पूजा (Kanjak Puja) कहा जाता है। हिंदू धर्म में लड़कियों को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। चैत्र नवरात्रि की पूजा करने से आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। अष्टमी और नवमी को लोग कन्याओं की पूजा करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल रविवार को समाप्त होगी। इस बार चैत्र नवरात्रि केवल 8 दिनों की है, इसलिए अष्टमी और नवमी तिथि और कन्या पूजन को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति है। ऐसे में कन्या पूजन कब और कैसे करें? आइये पता करें।
वैदिक पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 4 अप्रैल को रात्रि 8:12 बजे प्रारंभ होगी। यह तिथि 5 अप्रैल को शाम 7:27 बजे समाप्त होगी, जिसके बाद महानवमी तिथि शुरू होगी और 6 अप्रैल को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी। ऐसे में अष्टमी तिथि का कन्या पूजन 5 अप्रैल को और महानवमी का कन्या पूजन 6 अप्रैल को होगा। चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही नवरात्रि के दिनों में देवी की विशेष पूजा करने से आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
कन्याओं के पैर धोने के लिए स्वच्छ जल व वस्त्र, बैठने के लिए आसन, गोबर के उपले, पूजा की थाली, घी का दीपक, रोली, महावर, कलावा, चावल, फूल, दुपट्टा, फल, मिठाई, हलवा-पूरी व चना, भेंट व उपहार। कंजक पूजन के लिए अष्टमी या नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। फिर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें। इसके बाद गणेश जी और महागौरी की पूजा करनी चाहिए। कन्या पूजन के लिए एक लड़की और एक लड़के को आमंत्रित करें। जब लड़कियाँ घर आएँ तो देवी की स्तुति करें। इसके बाद सभी कन्याओं के पैरों को अपने हाथों से धोकर पोंछ लें। इसके बाद उनके माथे पर केसर और अक्षत का तिलक लगाएं। फिर उनके हाथों पर मौली या कलावा बांधें। एक थाली में घी का दीपक जलाएं और सभी कन्याओं की आरती उतारें। आरती के बाद सभी कन्याओं को हलवा-पूरी और चना खिलाएं। भोजन के बाद कन्याओं को अपनी क्षमता के अनुसार कुछ उपहार दें। अंत में कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।
कन्या पूजन से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है!
भारतीय संस्कृति में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूजा में बेटियों की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक हैं, जो घर में सुख, समृद्धि और शांति सुनिश्चित करती हैं। नवरात्रि के दौरान तीन से नौ वर्ष की आयु की लड़कियों की देवी के रूप में पूजा की जाती है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं। कन्या पूजन से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है तथा परिवार पर देवी का आशीर्वाद भी आता है। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में आस्था और सम्मान का प्रतीक है। अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिसमें कन्याओं को देवी का रूप मानकर आदर और भक्ति के साथ उनकी पूजा की जाती है।
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Sun, Apr 06 , 2025, 08:19 PM