Chaitra Navratri 2025 : जानें चैत्र नवरात्रि अष्टमी का समय, तिथि और महत्व... साथ ही मनोकामना पूर्ण करने के लिए अष्टमी पर करें ये कारगर उपाय

Sat, Apr 05 , 2025, 04:24 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Chaitra Navratri Ashtami Muhurt : इस वर्ष चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) 30 मार्च से शुरू हुई और राम नवमी (Ram Navami) यानी 6 अप्रैल को समाप्त होगी। इसका मतलब है कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 5 अप्रैल को पड़ेगी। कुछ लोगों का कहना है कि तिथि के कारण अष्टमी और नवमी (Ashtami and Navami) एक ही दिन पड़ेगी। इस भ्रम को दूर करने के लिए आज हम अष्टमी की तिथि, समय और महत्व (date, time and importance) के बारे में जानेंगे। आइए यह भी देखें कि देवी को प्रसन्न करने के लिए अष्टमी के दिन क्या उपाय किए जाने चाहिए।

चैत्र माह में आने वाले नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। इस अवसर पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के प्रथम दिन गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) से शुरू होती है और राम नवमी के दिन समाप्त होती है। इस समय पड़ने वाली अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन भी करते हैं।

अष्टमी के दिन या कुछ लोग नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर उनकी पूजा करते हैं। इस अवसर पर लड़कियों को सजावटी सामान दिए जाते हैं। कहा जाता है कि इससे देवी प्रसन्न होती हैं। तो आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन किए जाने वाले कुछ उपायों के बारे में, जिससे आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

दुर्गा अष्टमी का महत्व
दुर्गा अष्टमी विशेष रूप से देवी महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है, जो दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। कई लोग दुर्गाष्टमी पर व्रत रखते हैं और नवमी को उसका पारण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे देवी की कृपा प्राप्त होती है। चैत्र दुर्गा अष्टमी, जो चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों का आठवां दिन है। इस दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है। देवी को पवित्रता, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह दिन कठिनाइयों पर विजय पाने, बाधाओं को दूर करने और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन
4 अप्रैल - रात्रि 8:12 बजे प्रारंभ होगा
5 अप्रैल - शाम 7:26 बजे समाप्त होगा
चूंकि शास्त्रों में मावलती अष्टमी मान्य नहीं है, इसलिए शनिवार, 5 अप्रैल को अष्टमी तिथि मानी जाएगी।
6 अप्रैल - राम नवमी (नवमी - चैत्र नवरात्रि का अंत)

अष्टमी पर देवी को प्रसन्न करने के कारगर उपाय
अष्टमी से एक दिन पहले 108 कमल गट्टे को शुद्ध गाय के घी में भिगो दें। अष्टमी के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करें और "ॐ महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करते हुए इन बीजों को अग्नि में अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अष्टमी के दिन देवी को सफेद मिठाई चढ़ाई जाती है क्योंकि सफेद रंग पवित्रता और शांति का प्रतीक है। इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और शांति बनी रहती है। यदि प्रेम जीवन या पारिवारिक संबंधों में कोई समस्या हो तो यह उपाय अवश्य अपनाना चाहिए।

नवरात्रि के दौरान लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। आप इस शुभ दिन पर देवी को लाल चुनरी या अन्य आभूषण भी भेंट कर सकते हैं। आप लाल फूल चढ़ा सकते हैं। यह समाधान विशेष रूप से तब तय किया जाना चाहिए जब आप शादी नहीं कर रहे हों।

यदि आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और पैसा टिक नहीं रहा है तो तांबे के बर्तन में जल भरें और उसमें थोड़ा दूध व चंदन मिला लें। इस जल को देवी के सामने रखें और उनसे अपनी इच्छा कहें। फिर इस जल को पेड़ पर चढ़ा दें।

किसी भी शुभ कामना के लिए देवी को प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका है अष्टमी के दिन देवी की पूजा और व्रत करना। कहा जाता है कि शुद्ध भावना से की गई भक्ति देवी शीघ्र स्वीकार कर लेती हैं और इससे शीघ्र आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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