रायपुर: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता व किसान नेता राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) ने रविवार को आरोप लगाया कि पूरे देश में सरकारी योजनाओं के नाम पर या सड़कों के नाम पर निजीकरण हो रहा है। सभी सरकारें पूंजीवाद को बढ़ावा दे रही हैं। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के चार दिवसीय दौरे पर टिकैत आज रायपुर पहुंचे।
टिकैत ने यहां मीडिया से चर्चा करते हुए भूमि अधिग्रहण को लेकर कहा, “पूरे देश में भूमि अधिग्रहण तेजी से हो रहा है। सरकारी योजनाओं के नाम पर या सड़कों के नाम पर निजीकरण हो रहा है। सभी सरकारें पूंजीवाद को बढ़ावा दे रही हैं। हाईवे की सारी जमीनें सभी व्यापारियों ने खरीद ली है।”
टिकैत ने कहा कि उनका उनका टारगेट है कि 2047 तक जब आजादी का 100वां साल मनाया जाएगा, तब तक किसानों की 60 से 70 प्रतिशत जमीन पूंजीपतियों को पास चली जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि 18 मार्च को महासमुंद के साकरा और 19 मार्च को धमतरी में किसान पंचायत का आयोजन किया गया है।
एमएसपी गारंटी कानून को लेकर टिकैत ने कहा कि हमारा मकसद है कि छत्तीसगढ़ के जंगल बचे जिस जंगल में पेड़ लगाने की बात करते हैं, उस जंगल को काटा जा रहा है। एम एस पी गारंटी कानून इस वक्त देश का बड़ा सवाल बना हुआ है। हमारी मांग है कि एमएसपी गारंटी कानून देश में लागू हो और उससे कम दाम पर कोई भी खरीदी न करें। आज 800 से 1200 रुपए बिहार में धान की कीमत है। उन किसानों की क्या गलती है। आज जैसे बिहार बना है, वैसे भी ये लोग और भी प्रदेश को लेबर स्टेट बनाते जा रहे हैं। अगर राज्यों को लेबर स्टेट बनाने से बचाना है तो एमएसपी गारंटी कानून लागू करना ही होगा।
टिकैत ने कहा,“छत्तीसगढ़ में जिस तरह से व्यापारीकरण हो रहा है। इससे छत्तीसगढ़ कैसे बचेगा, यह एक बड़ा सवाल है। खेत में पानी नहीं जाने की वजह से छत्तीसगढ़ के किसानों ने आत्महत्या की है। किसानों को मिलने वाली बिजली में कम वोल्टेज एक बड़ी समस्या है। आदिवासी क्षेत्र में जो किसान फसल पैदा करते हैं, उनको उत्पादन की कीमत नहीं मिलती है। अधिकारी किसानों की समस्याओं पर सुनवाई नहीं करते। नया रायपुर में भूमि अधिग्रहण का मामला लंबे समय से चल रहा है। तीन सरकारें बदल गई, लेकिन नया रायपुर में जमीन अधिग्रहण की समस्या हल नहीं हो पाई।”
उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन कैसे बचेगी, फसलों के दाम कैसे मिलेंगे। स्वास्थ्य, शिक्षा को आम जनता तक कैसे पहुंचाया जाए। अभी देश में 'वन नेशन वन इलेक्शन' की बात हो रही है, लेकिन देश में 'राइट टू हेल्थ' और 'राइट टू एजुकेशन' जैसे मुद्दों पर बेहतर काम नहीं हो पा रहा है। आने वाले दिनों में हम पूरे देश में एक तरह की एजुकेशन की बात करेंगे।
किसान नेता ने कहा कि चार दिन के दौरे पर वह छत्तीसगढ़ और ओडिशा में रहेंगे जहां वह किसानों बीच में जाएंगे और उनसे बातचीत करेंगे। बारिश नहीं हुई तो उससे क्या प्रभाव पड़ रहे हैं। वाटर लेवल कितने नीचे जा रहा है। सरकार की क्या योजनाएं हैं। किसानों के खेत तक पानी जाएगा। बिजली की क्या व्यवस्था है, जिससे किसान को परेशानी न हो। छत्तीसगढ़ के किसानों की आवाज राष्ट्रीय पटल पर ले जाने का काम करेंगे।
टिकैत ने कहा कि देश में एक चीज सभी पार्टी और सरकार को मालूम है कि वोट कैसे मिलेंगे और किस जगह उनके वोटर हैं। लेकिन देश में कितनी फसल और कैसी फसल लगानी है। इसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है। किसान डिमांड और सप्लाई के हिसाब से फसल उत्पादन करता है। जिस फसल की कीमत ज्यादा मिलती है, उसे उगाता है। जिसकी कम मिलती है, उसका उत्पादन कम कर देता है।
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Mon, Mar 17 , 2025, 07:44 AM