मुंबई: सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया है कि मंत्री धनंजय मुंडे ने कृषि मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कैबिनेट की मंजूरी के बिना भी करोड़ों रुपये की कृषि सामग्री और उर्वरक खरीदे। कुछ दिन पहले दमानिया ने मुंडे पर कृषि सामग्री की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। धनंजय मुंडे ने इसका खंडन किया। अब दमानिया ने एक और गंभीर आरोप लगाया है।
सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने धनंजय मुडे पर एक और गंभीर आरोप लगाया है। अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया है कि धनंजय मुंडे ने कृषि मंत्री रहते हुए कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना करोड़ों रुपये के कृषि उपकरण खरीदे।
कैबिनेट की मंजूरी के बिना खरीद
धनंजय मुंडे ने एकनाथ शिंदे की सरकार में कृषि मंत्री का पद संभाला था। लोकसभा चुनाव के बाद कृषि विभाग द्वारा बड़ी मात्रा में कृषि सामग्री व उर्वरक की खरीद की गई थी। यह खरीद किसानों को मुफ्त कृषि सामग्री और उर्वरक वितरित करने के लिए की गई थी। लेकिन दमानिया ने दावा किया है कि यह खरीद कैबिनेट की मंजूरी के बिना की गई थी।
उस कैबिनेट बैठक में कृषि सामग्री की खरीद पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। दमानिया ने तत्कालीन सरकार की दो कैबिनेट बैठकों के विवरण का साक्ष्य प्रस्तुत किया है। दमानिया ने दावा किया है कि 23 और 30 तारीख को हुई कैबिनेट की बैठकों में कृषि सामग्री खरीदने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
कृषि मंत्री के रूप में धनंजय मुंडे के कार्यकाल के दौरान, नैनो डीएपी, नैनो यूरिया, स्प्रे पंप और कपास भंडारण बैग खरीदे गए। दमानिया ने पहले आरोप लगाया था कि यह खरीददारी बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर की गई थी। धनंजय मुंडे ने दमानिया के आरोपों का खंडन किया। लेकिन जिस निर्णय के आधार पर यह करोड़ों रुपए की खरीदारी की गई। मामला अलग मोड़ ले सकता है क्योंकि दमानिया का दावा है कि निर्णय झूठा था।
कृषि मंत्री के रूप में धनंजय मुंडे के कार्यकाल के दौरान, नैनो डीएपी, नैनो यूरिया, स्प्रे पंप और कपास भंडारण बैग खरीदे गए। दमानिया ने पहले आरोप लगाया था कि यह खरीददारी बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर की गई थी। धनंजय मुंडे ने दमानिया के आरोपों का खंडन किया। लेकिन जिस निर्णय के आधार पर यह करोड़ों रुपए की खरीदारी की गई। मामला अलग मोड़ ले सकता है क्योंकि दमानिया का दावा है कि निर्णय झूठा था।
धनंजय मुंडे का पलटवार, अधूरी बुद्धि का प्रदर्शन
सरकारी प्रक्रिया नियमों के अनुसार, जी.आर. अर्थात सरकारी निर्णय जारी करने की एक विधि है, जिसके लिए एक प्रक्रिया तैयार की गई है। विभाग के सेल अधिकारी द्वारा उस मामले की फाइल प्रस्तुत करने के बाद विभाग के उप सचिव, सचिव, अपर मुख्य सचिव के माध्यम से अनुमोदन के लिए मंत्री के समक्ष आती है। मंत्री के अनुमोदन से पहले और बाद में भी अपर मुख्य सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी स्वयं फाइल की जांच करते हैं और उसके बाद ही शासनादेश जारी होता है। इसलिए झूठ बोलकर जीआर जारी करना आदि कहना मीडिया ट्रायल और अपनी अज्ञानता का प्रदर्शन करने के अलावा और कुछ नहीं है।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Thu, Feb 20 , 2025, 08:02 AM