नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने पूजा स्थल (Special Provisions) अधिनियम, 1991 को चुनौती देने से संबंधित मामले में दायर हस्तक्षेप याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर सोमवार को चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjiv Khanna) और न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार (Justice PV Sanjay Kumar) की पीठ ने ऐसे आवेदनों को सीमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
पीठ ने कहा “ हस्तक्षेप दायर करने की एक सीमा होती है। हम आज पूजा स्थल अधिनियम मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे। यह तीन न्यायाधीशों की पीठ का मामला है। बहुत सारी याचिकाएँ दायर की गई हैं। मामले को मार्च में किसी दिन सूचीबद्ध किया जाएगा।” ये मामला विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं के हस्तक्षेप की अपील पर आधारित है, जिसमें कांग्रेस, मार्क्सवादी-लेनिनवादी पार्टी [सीपीआई (एमएल)], जमीयत उलमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के मुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) शामिल हैं।
इन दलों ने उस पूजा अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध किया है। वर्ष 1991 का पूजा स्थल अधिनियम 15 अगस्त 1947 को स्थापित धार्मिक स्थल के उस समय के स्वरुप को बनाए रखने का प्रावधान करता है।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Mon, Feb 17 , 2025, 01:35 PM