Symptoms of GBS disease: गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों और मांसपेशियों पर हमला (Attack on muscles) करती है। इससे शरीर में गति, संवेदना और अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं बाधित होती हैं। तो, आइए इस लेख में जीबीएस रोग, इसके कारणों से लेकर इसके उपचार तक, पर गहराई से नज़र डालें।
1- जीबीएस रोग क्या है?
जीबीएस एक स्वप्रतिरक्षी विकार है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती है। परिणामस्वरूप, तंत्रिकाओं के माध्यम से संदेशों का संचरण बाधित हो जाता है। जिससे मरीज की शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। इसका प्रभाव धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है और यदि समय पर उपचार न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है।
2-जीबीएस रोग क्यों होता है?
जीबीएस का वास्तविक कारण क्या है? यह अभी तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। हालाँकि, यह रोग आमतौर पर किसी संक्रमण के बाद प्रकट होता है, जैसे कि श्वसन या पाचन तंत्र का संक्रमण। कभी-कभी यह रोग वायरल संक्रमण या टीकाकरण के बाद भी हो सकता है। यद्यपि यह कारण दुर्लभ है, लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी को इसका मुख्य कारण माना जाता है।
3- जीबीएस के प्रमुख लक्षण
1- झुनझुनी या सुन्नपन: शुरुआत में पैरों के तलवों या पैर की उंगलियों में झुनझुनी होती है और फिर यह समस्या ऊपरी अंगों तक फैल जाती है।
2-मांसपेशियों में कमजोरी: पैरों से शुरू होकर यह धीरे-धीरे हाथों और पूरे शरीर को प्रभावित करती है।
3-सांस लेने में कठिनाई: गंभीर मामलों में, सांस को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां भी प्रभावित होती हैं।
4- शारीरिक गतिविधि पर सीमा: रोगी को चलने, खड़े होने या वस्तुओं को उठाने में कठिनाई होती है।
5- अनियमित रक्तचाप: हृदय की कार्यप्रणाली भी बाधित हो सकती है।
4- जीबीएस का इलाज कैसे किया जाता है?
चूंकि जीबीएस एक आपातकालीन स्थिति है, इसलिए इसका तत्काल उपचार आवश्यक है। यदि सही समय पर उपचार शुरू कर दिया जाए तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
1- इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (आईवीआईजी): इसमें एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की त्रुटियों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
2-प्लाज्मा विनिमय (प्लाज्माफेरेसिस): दूषित प्लाज्मा को निकाल दिया जाता है और शुद्ध प्लाज्मा डाला जाता है।
3- भौतिक चिकित्सा: भौतिक चिकित्सा रोगी की गतिशीलता और मांसपेशियों की शक्ति को पुनः प्राप्त करने में प्रभावी है।
4-श्वसन सहायता: यदि सांस लेने में कठिनाई हो तो मरीज को वेंटिलेटर सहायता दी जाती है।
जीबीएस को रोकने के लिए आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
यद्यपि जीबीएस को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं, लेकिन संक्रमण को रोकना और शरीर को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है।
1- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखें।
कोई भी टीका लगवाते समय विशेषज्ञ की सलाह लें। अगर आपको अपने शरीर में कोई असामान्य बदलाव नज़र आए, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
जीबीएस के बारे में जागरूकता क्यों आवश्यक है?
यद्यपि जीबीएस दुर्लभ है, लेकिन यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यदि सही समय पर इसका निदान और उपचार किया जाए तो यह रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। हालाँकि, देरी से गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हर किसी को इस बीमारी के बारे में जानकारी हो और सही समय पर चिकित्सा सहायता ली जाए।
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Thu, Feb 13 , 2025, 07:34 PM