Domino Kidney Transplant: ग्लेईनेगल्स अस्पताल में मुंबई का इस साल का पहला डोमिनो किडनी ट्रांसप्लांट

Mon, Jan 13 , 2025, 02:57 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई।  परेल स्थित ग्लेईनेगल्स अस्पताल में इस साल का पहला डोमिनो किडनी ट्रांसप्लांट (Domino Kidney Transplant) किया गया हैं। किडनी के प्रतिक्षा कर रहें तीन मरीजों की परिजनोंने अपने प्रियजन की जान बचाने के लिए एक-दुसरे के प्रियजन को किडनी दात करने जान बचाई हैं। ग्लेईनेगल्स अस्पताल (Gleneagles Hospital in Parel) के डॉ. भरत शाह, डॉ. प्रदीप राव, डॉ. जितेंद्र जगपात और डॉ. श्रुति तापियावाला के नेतृत्व में मुंबई का इस साल का पहला डोमिनो किडनी ट्रांसप्लांट किया गया हैं।  

उन्नत प्रत्यारोपण प्रतिरक्षा निदान और एचएलए चिकित्सा (HLA therapy) में स्वीकार्य मिसमैच तकनीकों का लाभ उठाते हुए, डोमिनो प्रत्यारोपण ने अत्यधिक संवेदनशील मरीजों की अनूठी चुनौतियों का समाधान किया, जो कि प्रत्यारोपण आबादी का केवल ७-१०% है, जो हमारे राज्य और देश के लिए गुर्दा प्रत्यारोपण में एक नया मील का पत्थर है। ग्लेईनेगल्स अस्पताल में रीनल साइंस के निदेशक डॉ. भरत शाह ने कहा, "यह उपलब्धि आधुनिक चिकित्सा में टीमवर्क, सटीकता और नवाचार की शक्ति का उदाहरण है। डोमिनो ट्रांसप्लांट के साथ, हम उन मरीजों के लिए जीवन रक्षक प्रभाव पैदा कर रहे हैं जिनके पास पहले कोई विकल्प नहीं था। ऐसे अभूतपूर्व प्रयासों का नेतृत्व करना सौभाग्य की बात है जो जीवन को बदल देते हैं।”

ग्लेईनेगल्स अस्पताल के कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. श्रुति तापियावाला ने कहॉं की, "अक्सर मरीजों की ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए दाताओं की प्रतिक्षा करनी पडती हैं। प्रत्यारोपण चाहने वाली हमारी आबादी का लगभग ७-१०%  है, एंटीबॉडी के कारण अस्वीकृति का जोखिम ३०-३५ % तक बढ़ जाता है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए डिसेन्सिटाइजेशन और डोमिनो ट्रांसप्लांट सर्जरी काफी महत्त्वपूर्ण हैं।"  डोमिनो ट्रांसप्लांट में दानकर्ताओं और प्राप्तकर्ताओं की एक श्रृंखला शामिल होती है जहाँ प्रत्येक दानकर्ता एक अलग प्राप्तकर्ता से मेल खाता है, जिससे एक जीवन रक्षक श्रृंखला बनती है।

  1.     हैदराबाद की एक ५५ वर्षीय महिला, जिसके परिवार के कई दाताओं के खिलाफ़ कई दाता-विशिष्ट एंटीबॉडीज़ हैं, जिसके कारण उसे अपने भाई, चाची, पति और मामा सहित अपने सभी रिश्तेदारों से अस्वीकृति के जोखिम का सामना करना पड़ा।
  2.     दिल्ली स्थित १७ वर्षीय लडका का कोविड-१९ महामारी के कारण पहला प्रत्यारोपण विफल हो गया, इसलिए इसबार उसे विशेष देखभाल की जरूरत थी।
  3.   एक १८ वर्षीय लड़की, जिसने पहले संक्रमण के कारण एक किडनी खो दी थी और जन्मजात असामान्यताओं और अपनी माँ के खिलाफ एचएलए एंटीबॉडीज़ के कारण अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो उसकी संभावित किडनी दाता थी।

काफी महिनों तक एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) मिलान, क्रॉस-मैचिंग प्रक्रिया शुरू थी। १९ दिसंबर को तीन दाता और तीन प्राप्तकर्ताओं की १८ घंटे तक जटील प्रत्यारोपण सर्जरी कराई गई।

ग्लेईनेगल्स अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट निदेशक डॉ. प्रदीप राव ने कहॉं की, "मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अक्सर पारंपरिक डोनर-मरीज मिलान से परे समाधान की आवश्यकता होती है। भारत में कानूनी और तार्किक रूप से चुनौतीपूर्ण है, ऐसे मामलों के लिए गेम-चेंजर हैं। इन विकल्पों के बिना, कई मरीज अनिश्चित काल तक डायलिसिस पर रहेंगे।"

जीवन रक्षक यात्रा

हैदराबाद के एक मरीज़ ने कहॉ की, "सालों के इंतज़ार के बाद अब मुझे किडनी मिली हैं। मैं अब फिर से स्वास्थ्य महसूस कर रहा हैं। डॉक्टरों के प्रयासों के कारण मुझे नई जिंदगी मिली हैं। डॉ. श्रुति तापियावाला और मेरी नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अनुराधा की विशेषज्ञता के बिना यह संभव नहीं होता। इसके अलावा मुझे किडनी देने वाले दाता का भी में बहुत आभारी हूं।"
ग्लेईनेगल्स अस्पताल के सीईओ डॉ. बिपिन शेवाले ने कहॉं की, "यह सफल डोमिनो ट्रांसप्लांट हमारे अस्पताल की चिकित्सा विज्ञान में सीमाओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमें इस बात पर गर्व है कि हम सबसे आगे हैं, जो सीमित विकल्पों वाले मरीजों को आशा और उपचार प्रदान करते हैं।"

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