Makar Sankranti 2025 : उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में आचार्य पुष्पेंद्र द्विवेदी (Pushpendra Dwivedi) और अंकित शास्त्री ने बताया कि मकर संक्रांति पर्व (Makar Sankranti festival) यानी 14 जनवरी 2025 को बेहद शुभ योग बन रहा है। इस दिन भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मंगल पुष्य योग (Mangal Pushya Yoga) भी बन रहा है। खास बात यह है कि 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन - रहा है जिसमें दान, पुण्य आध्यात्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य फल मिलता है। मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा जबकि समाप्त शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा।
मकर संक्रांति का महापुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ है। इसके अलावा स्नान- दान के लिए मकर संक्रांति का पूरा दिन अच्छा माना जाता है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार महत्वपूर्ण पर्वों में से एक हैं। जब पौष मास में सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान और पुण्य कार्यों का विशेष महत्व बताया जाता है।
इस पर्व पर लोग घरों में खिचड़ी बनाते हैं, इसलिए इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने आते हैं। इस कारण इस पर्व का विशेष संबंध सूर्य और शनि ग्रह से माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य या शनि ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष मंत्रों का जाप करके इन ग्रहों की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
इन विशेष मंत्रा में शामिल हैं:
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपय मां भक्त्या, गृह्मणायं नमोस्तुते ।।
इस मंत्र का जाप सूर्य को जल अर्पित करते समय करने से सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत होती है।
आदित्यतेजसोत्पन्नं राजतं विधिनिर्मितम्। श्रेयसे मम विप्र त्वं प्रतिगृहेणदमुत्तमम् ।।
सूर्य जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस बार माघ कृष्ण प्रतिपदा में पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। 14 जनवरी को प्रातः काल 10 बजकर 17 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके पश्चात पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास का समापन हो जाएगा।
इसके बाद मांगलिक कार्य का सिलसिला आरंभ हो जाएगा। भगवान सूर्य 14 जनवरी को प्रातः काल 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसका पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर सूर्यदेव की पूजा कर दान-पुण्य करने के साथ मकर संक्रांति का इस मंत्र का उच्चारण मकर संक्रांति पर आदित्य मंडल ब्राह्मण को दान करते समय किया जाता है। इससे व्यक्ति के दोष समाप्त होते हैं और भाग्य में सूर्य जैसा तेज आ जाता है।
इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्क लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्र त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्ति त्रिगतिं शुभम् ।।
इस मंत्र के जाप से इंद्र देव और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास और इसके पश्चात शनि देव की ही राशि कुंभ में एक मास निवास करते हैं। इससे यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध स्थापित करने की सीख देता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान व सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है। मकर संक्रांति को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर इसे संक्रांति, पोंगल, माधी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे नाम से जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने दोनों का विशेष महत्व होता है।
ॐ ह्रीं सूर्याय नमः
यह सूर्य देव का बीज मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
ॐ सूर्याय आदित्याय श्री महादेवाय नमः
यह सूर्य शक्ति मंत्र है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मकता दूर होती है।
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