Makar Sankranti Date 2025: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को नए साल के पहले और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाता है। इस त्यौहार को प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग नामों से जाना जाता है। महाराष्ट्र में संक्रांति, पश्चिम बंगाल में मोकोर सोनक्रांति(Mokor Sonkranti), नेपाल में माघे संक्रांति (Maghe Sankranti), यहां 'संक्रांति' का अर्थ 'स्थानांतरण' है, असम में माघ बिहू (Magh Bihu), पंजाब में माघी, हिमाचल प्रदेश में माघी साजी, जम्मू में माघी संग्रांद या उत्तरायण, हरियाणा में सकरात, राजस्थान में सकरात, मध्य भारत में सोकराट, पोंगल विभिन्न नामों से जाना जाता है।
तमिलनाडु में उत्तरायण, गुजरात और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में घुघुती, बिहार में दही चूड़ा, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति (पौष संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है), उत्तर प्रदेश (खिचड़ी संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है), उत्तराखंड (जिसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है) या बस, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में संक्रांति को माघे संक्रांति (नेपाल), सोंगक्रान (थाईलैंड), थिंग्यान (म्यांमार), मोहन सोंगक्रान (कंबोडिया) और शिशुर सेन्क्राथ (कश्मीर) के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य अस्त होता है। इसे उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानें मकर संक्रांति पर स्नान और दान का शुभ मुहूर्त कब है? उत्तरायण का महत्व
मकर संक्रांति 2025 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य सुबह 9:03 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। उस समय मकर संक्रांति का त्यौहार शुरू हो जाएगा। सूर्य के वक्री होने के कारण मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति 2025 शुभ मुहूर्त
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर 8 घंटे 42 मिनट का पुण्यकाल रहेगा। अतः शुभ मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक रहेगा।
मकर संक्रांति 2025 स्नान और दान मुहूर्त
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से 10:48 बजे तक है। मकर संक्रांति के पावन काल में स्नान और दान का विशेष महत्व माना जाता है।
मकर संक्रांति पर क्या दान करना चाहिए?
मकर संक्रांति के दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, चावल-दाल और काले कपड़े दान करने का महत्व है।
उत्तरायण क्या है?
मकर संक्रांति के दिन से सूर्यदेव उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। कहा जाता है कि देवताओं का दिन इन्हीं दिनों से शुरू होता है। सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करता है। यह अवधि 6 माह की है। सूर्य के अस्त होने के कारण धीरे-धीरे गर्मी बढ़ने लगती है और ठंड कम होने लगती है। इस काल में दिन लंबे और रातें छोटी होती थीं। दक्षिणायन तब शुरू होता है जब सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश करते हैं।
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Thu, Jan 09 , 2025, 03:10 PM