नालासोपारा: क्राइम ब्रांच सेल-3, विरार(Crime Branch Cell-3, Virar) ने एक फर्जी आयकर आयुक्त को गिरफ्तार(fake Income Tax Commissioner) करने में सफलता प्राप्त की है, जिसने आयकर विभाग(Income Tax Department) में वरिष्ठ पद दिलाने का झांसा देकर शिक्षित बेरोजगार युवाओं से 2 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की थी।
एक पीड़ित ने पेल्हर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। आरोपी रिंकू शर्मा ने पेल्हार पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी ने खुद को आयकर आयुक्त बताकर और उसके बेटे को नौकरी दिलाने का वादा करके उससे 10 लाख रुपये की ठगी की है। उस शिकायत के आधार पर मीरा भयंदर वसई विरार कमिश्नरेट की अपराध शाखा की विरार यूनिट 3 ने जाल बिछाया और फर्जी कमिश्नर को तलोजा से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस जांच में प्रथम दृष्टया पता चला है कि उसने एक या दो नहीं, बल्कि 40 लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। उन्हें वसई अदालत में पेश किया गया और पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
आयकर विभाग में ड्राइवर के तौर पर काम करने वाले रिंकू शर्मा ने सिर्फ छह किताबें पढ़ी हैं यानी छठी कक्षा की पढ़ाई की है, वह खुद को आयकर आयुक्त (आईआरएस) अधिकारी बताकर और लोगो लगी एम्बर लाइट वाली गाड़ी का इस्तेमाल कर रहा है। आयकर विभाग का अधिकारी बताकर वह पीड़ित के बेटे और बेटी को आयकर विभाग में आयकर निरीक्षक के पद पर नौकरी लगवा देता है। ऐसा कहकर उसने शिकायतकर्ता का विश्वास जीत लिया और समय-समय पर उससे 5 लाख रुपए ले लिए। तथा शिकायतकर्ता की पुत्री को आयकर विभाग के आयकर निरीक्षक का फर्जी पहचान पत्र व नियुक्ति पत्र देकर नौकरी न दिलवाकर धोखाधड़ी की है। दोनों आरोपियों के खिलाफ पेल्हर थाने में धारा 318(4) के तहत मामला दर्ज किया गया है। , 204, 319 (2), 338, इसे 336(2), 340(2), 3(5) के रूप में दर्ज किया गया है।
अपराध करने का तरीका क्या था?
रिंकू शर्मा बीकेसी स्थित आयकर विभाग कार्यालय में अनुबंध के आधार पर ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था। उन्होंने अपने व्यक्तित्व और अधिकारियों के साथ उनकी निकटता, उनके बोलने के तरीके, उनके व्यवहार आदि को पूरी तरह याद कर लिया था। चूंकि वह स्वयं ड्राइवर था, इसलिए वह वसई विरार में एम्बर रंग की कार में अपनी गाड़ियां चलाता था। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि वे एक आईपीएस अधिकारी की जिंदगी जी रहे हैं। वह कई महंगी कारों में घूमते थे, कभी बीएमडब्ल्यू, कभी इनोवा, तो कभी फॉर्च्यूनर। उनकी कार में भी एम्बर लाइट थी। इसलिए लोगों को संदेह भी नहीं हुआ कि यह नकली है।
उनकी रहन-सहन की स्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि वह कोई कमिश्नर होंगे। पुलिस का अनुमान है कि उस रुबाबा से 40 लोग गुमराह हुए हैं। हालाँकि, यह संख्या और भी बढ़ने की संभावना है। पुलिस जांच में अब तक सामने आई रकम एक से दो करोड़ रुपये के बीच है। वह सभी से यह कहकर पैसे ऐंठ रहा था कि उसने ज्वाइनिंग लेटर और सरकारी स्टांप लगे पहचान पत्र दे दिए हैं और पत्र मिलते ही वह किश्तों में पैसे चुका देगा।
वह अधिकतर लोगों को आयकर विभाग के कार्यालय भी ले जाता था। वह आयकर विभाग की कैंटीन में संबंधित लोगों को नाश्ता परोसते और फिर उन्हें यह कहकर बाहर भेज देते कि अभी वह व्यस्त हैं। लोगों ने पहले तो उस पर विश्वास कर लिया, क्योंकि अब उसे आयकर विभाग के कार्यालय ले जाया जा रहा था। हालाँकि, जब उन लोगों ने गहराई से जांच की तो पता चला कि सब कुछ फर्जी था। इसके बाद कई लोग पेल्हार पुलिस थाने पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई।
जब भीलर पुलिस की जांच चल रही थी, उसी दौरान मीरा-भायंदर वसई विरार कमिश्नरेट की यूनिट 3 के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक प्रमोद बड़ा के नेतृत्व में एक टीम, जो समानांतर जांच कर रही थी, ने बड़ी मुश्किल से तलोजा से गिरफ्तारी की। उन्हें वसई अदालत में पेश किया गया और पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
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Thu, Jan 09 , 2025, 08:14 AM