Human Metapneumovirus : चीन से एक नई बीमारी (new disease) सामने आई है। इसके चलते भारत भी अलर्ट (India is also on alert) पर है और कुछ निर्देश भी दिए गए हैं। हालाँकि, भारत में मानव मेटान्यूमोवायरस वायरस के आगमन से काफी भय पैदा हो गया है। आपके मन में भी मानव मेटान्यूमोवायरस को लेकर कई सवाल होंगे, आइए जानें।
चीन और मलेशिया के बाद अब भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के तीन मामले सामने आए हैं। इनमें से दो मामले कर्नाटक से हैं और एक अपराध अहमदाबाद, गुजरात से है। ये तीनों ही रोगी दो वर्ष से कम आयु के बच्चों में पाए गए हैं। भारत में एचएमपीवी वायरस के मरीजों के आने के बाद यहां भी खतरा बढ़ने की संभावना है। क्योंकि यह वायरस चीन में बहुत खतरनाक साबित हो रहा है।
क्या भारत में भी इस वायरस का खतरा रहेगा?
क्या मानव मेटान्यूमोवायरस कोविड जैसा ही वायरस है? ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने FIMA डॉक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान संरक्षक रोहन कृष्णन से बात की।
मानव मेटान्यूमोवायरस (hMPV) क्या है?
रोहन कृष्णन का कहना है कि मानव मेटानेफ्रिन वायरस एक ऐसा वायरस है जो श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है। यह वायरस आरएसवी (measles virus) के समान समूह का वायरस है।
एचएमपीवी के प्रारंभिक लक्षण इन वायरसों के समान ही होते हैं। इसमें बच्चों को खांसी, जुकाम, बुखार तथा गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है। इस वायरस के अधिकांश मामले बच्चों में होते हैं, तथा ये 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में अधिक आम हैं।
एचएमपीवी कैसे फैलता है?
एचएमपीवी वायरस से संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क से या वायरस से दूषित वस्तुओं को छूने से फैलता है। उदाहरण के लिए, संक्रमित व्यक्ति का खांसना और छींकना, संक्रमित व्यक्ति या बच्चे से हाथ मिलाना, गले लगना आदि। इसके अलावा, यह वायरस दरवाजे के हैंडल, कीबोर्ड या खिलौनों जैसी सतहों या वस्तुओं को छूने से भी फैल सकता है। यदि इन सतहों पर कोई वायरस है और आप इन चीजों को छूते हैं तथा अपना हाथ अपने मुंह या नाक पर लगाते हैं, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है।
इस वायरस का परीक्षण कैसे किया जाता है?
आपके लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर आपका एचएमपीवी परीक्षण किया जाता है। इसके लिए नाक या गले से नमूने लिए जाते हैं। आप सैंपल के लिए सॉफ्ट-टिप वाली स्टिक (swab) का इस्तेमाल कर सकते हैं (जैसा कि कोरोना टेस्ट में किया गया था)। वायरस का सैंपल लेने के बाद उसे जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
एचएमपीवी के गंभीर लक्षण क्या हैं?
रोहन का कहना है कि यदि आपको या आपके बच्चे को तेज बुखार (103 डिग्री फारेनहाइट/40 डिग्री सेल्सियस से अधिक), सांस लेने में कठिनाई, या त्वचा, होंठ या नाखूनों का नीला पड़ना (cyanosis) जैसे लक्षण दिखाई दें, तो आपको अस्पताल जाना चाहिए। तुरंत।
क्या भारत में भी एचएमपीवी का खतरा है?
सामान्य फ्लू के सभी मामलों में से 0.8 प्रतिशत एचएमपीवी वायरस के होते हैं। यानि यह एक विद्यमान वायरस है। लेकिन इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। इस वायरस से संक्रमित अधिकांश बच्चों में हल्के लक्षण देखे जाते हैं। यह वायरस भी नया नहीं है. यह पहले से ही मौजूद है. जो मरीज यहां आए हैं, उनका कोई यात्रा इतिहास नहीं है, जिसका अर्थ है कि वायरस भारत में मौजूद है। ऐसे समय में आपको सावधान रहने की जरूरत है, लेकिन घबराएं नहीं। बच्चों के संबंध में सभी आवश्यक सावधानियां बरतना आवश्यक है।
क्या यह वायरस कोविड जितना खतरनाक है? कोविड और एचएमपीवी दोनों ही श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं, लेकिन एचएमपीवी एक पुराना वायरस है और इसके मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। यह कोविड जितना खतरनाक नहीं है, लेकिन फिर भी सतर्क रहना और सावधानी बरतना जरूरी है।
एचएमपीवी से कैसे बचाव करें?
अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएँ। छींकते या खांसते समय अपनी नाक और मुंह को अपनी कोहनी से ढकें, न कि अपने नंगे हाथों से। अगर आप बीमार हैं और दूसरों के आस-पास रहने से बच नहीं सकते, तो मास्क पहनने पर विचार करें। अपने चेहरे, आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें।
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Wed, Jan 08 , 2025, 10:27 PM