Pitru Paksha : पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

Mon, Sep 16 , 2024, 10:41 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Pitru Paksha 2024 Date and Time: हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान दिवंगत पूर्वजों (Departed Ancestors) की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करने की परंपरा है, इसे श्राद्ध कहा जाता है। अगर आप अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो आपको इसकी विधि और शुभ समय पता होना चाहिए। इस साल पितृ पक्ष 18 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा। जिन लोगों की पितृ तिथि पूर्णिमा है वे 17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध करेंगे। प्रतिपदा श्राद्ध 18 सितंबर को मनाया जाएगा।
 
श्राद्ध श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म है। ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद भगवान यमराज (Lord Yamraj) इस दौरान आत्मा को मुक्त कर देते हैं, ताकि वह अपने परिवार के सदस्यों के पास जाकर प्रसाद ग्रहण कर सके। पितृपक्ष में पितरों को याद किया जाता है। इसका महत्वपूर्ण वर्णन पुराणों में भी मिलता है।

पितरों को तर्पण करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
पितरों को तर्पण कब करना चाहिए यह जानना भी बहुत जरूरी है। इस श्राद्ध कर्म के बारे में कहा जाता है कि सूर्य को जल चढ़ाने और तर्पण करने से पितरों तक शांति पहुंचती है। इसके लिए तीन अवधियों का उपयोग किया जाता है। इसे कुतुप काल, रोहिण काल ​​और अपरहन काल कहा जाता है। कुतुप काल का समय 11:36 से 12:25 तक है। रोहिण काल ​​का समय 12:25 से 1:14 बजे तक है। समय दोपहर 1:14 बजे से 3:41 बजे तक है।

शास्त्रों के अनुसार सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। दोपहर 12 बजे पितरों का श्राद्ध किया जाता है। सूर्य को अग्नि का जनक भी माना गया है। देवताओं को भोजन उपलब्ध कराने के लिए यज्ञ किये जाते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, यह अवधि पितरों की पूजा और श्राद्ध कर्म करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस समय दिया गया तर्पण पितर स्वीकार करते हैं।

श्राद्ध कर्म क्यों महत्वपूर्ण है?
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से आने वाली अमावस्या तिथि को पितृचंची तिथि कहा जाता है। 18 सितंबर से 2 अक्टूबर हमारे पूर्वजों को याद करने का समय है। उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता के अनुसार, इस दौरान पूर्वज अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं। पितृपक्ष में पितरों को श्रद्धापूर्वक भोजन, दान और तर्पण करने का विशेष महत्व है।

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