चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) ने अपनी नीतियों में कई बार उन नीतियों का जिक्र किया है जो मनुष्य को मार्गदर्शन देने का काम करती हैं। आचार्यों के नीतिशास्त्र में मनुष्य को अनेक प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं, जिनके उत्तर देने में मनुष्य का पूरा जीवन लग जाता है। इसलिए आचार्य चाणक्य की नीतियां लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। व्यक्ति को अपने जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, यह आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में स्पष्ट रूप से बताया है।
उन्होंने अपने नीतिशास्त्र(Ethics) में कहा है कि व्यक्ति को जीवन में लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए। यह लेख आपको यह बताने का प्रयास करता है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार वे कौन से व्यक्ति हैं जिनका कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन व्यक्तियों का अपमान करने से व्यक्ति का विनाश हो सकता है। आइए देखें क्या कहती है चाणक्य नीति(Chanakya Niti)...
अध्यापक-
हमारे समाज में शिक्षकों को बहुत ऊंचा दर्जा दिया जाता है। क्योंकि शिक्षक ही वह व्यक्ति होता है जो हमें समाज में आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है और शिक्षक द्वारा दी गई शिक्षा से ही लोग अपना जीवन यापन करते हैं, इसलिए शिक्षक का महत्व अद्वितीय है। लेकिन इनके अपमान से इंसान की तरक्की रुक जाती है और उस इंसान के विनाश का समय नजदीक आने लगता है।
निकटतम परिजन-
नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को कभी भी अपने सगे संबंधियों का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि सगे संबंधियों से की गई शत्रुता उस व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। क्योंकि जब कोई इंसान मुसीबत में होता है तो उसके करीबी रिश्तेदार ही उसकी मदद के लिए आगे आते हैं। इसलिए करीबी रिश्तेदारों से खराब संबंध व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
संत या महापुरुष-
आचार्य चाणक्य के अनुसार कभी भी किसी संत या महापुरुष का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि संतों का हृदय बहुत पवित्र होता है और शुद्ध हृदय वाले लोगों का अपमान करने वालों को भगवान स्वयं दंड देते हैं। जो इंसान को बर्बाद कर सकता है.
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Sat, Sep 14 , 2024, 08:28 AM