Ganeshotsav : क्या बताती है गणेश बप्पा की सूंड की दिशा? जानिए विभिन्न मान्यताएं और महत्व!

Tue, Sep 10 , 2024, 09:37 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Ganeshotsav :  गणेशोत्सव (Ganeshotsav) चल रहा है। गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) एक आराध्य देवता हैं। प्रथम पूज्य माने जाने वाले गणपति बप्पा (Ganpati Bappa )के बारे में कई कहानियां हैं। गणपति बप्पा के कई नाम हैं, गणपति बप्पा के स्वरूप को लेकर कई रहस्य बताए जाते हैं। इसके अलावा गणपति बप्पा की सूंड (Trunk) को लेकर भी कई मत और मतभेद बताए गए हैं।

गणेश जी को वक्रतुंड (Vakratunda) भी कहा जाता है क्योंकि उनकी सूंड एक तरफ मुड़ी हुई है। भगवान गणेश (Lord Ganesha) की घुमावदार आकृति में कई भिन्नताएं हैं। कुछ मूर्तियों में गणेश जी की सूंड बायीं ओर मुड़ी हुई दिखाई जाती है। जबकि कुछ को दाईं ओर मुड़ते हुए दिखाया गया है। आइए जानें इसके बारे में।

दाहिनी सूंड के गणेश
यह पिंगला नाड़ी से जुड़ा है और पौरुष ऊर्जा का प्रतीक है। ऐसे गणेश को दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है। वह सिद्धि और आध्यात्मिक प्राप्ति का प्रतीक हैं, इसलिए उन्हें सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। जो लोग सामाजिक शक्ति बढ़ाना चाहते हैं।

दाहिनी सूंड वाले गणपति का अर्थ है दक्षिणमुखी मूर्ति। दक्षिण का अर्थ है दाहिनी ओर या दक्षिण दिशा। यह दिशा यमलोक की ओर जाती है, जबकि दाहिनी ओर सूर्यनाड़ी है। गणपति में यमलोक की दिशा की ओर मुख करने की शक्ति है। इसकी सौर नाड़ी सक्रिय होने के कारण यह चमकीला भी है। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण दिशा में यमलोक में पाप का हिसाब-किताब होता है। अतः यह पहलू अवांछनीय है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमेशा दक्षिणमुखी गणपति की पूजा नहीं की जाती है। साथ ही इस गणपति की पूजा करते समय पूजा के सभी नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी है।

बायीं सूंड के गणेश
यह इड़ा नाड़ी से जुड़ा है और शरीर के चंद्र तंत्र को प्रभावित करता है। यह नारी शक्ति का प्रतीक है। ज्यादातर घरों में गणेश जी की ऐसी ही मूर्ति पाई जाती है। यह मानसिक शीतलता, खुशी और खुशी का प्रतीक है।

बाईं सूंड वाले गणपति को वाममुखी गणपति के नाम से भी जाना जाता है। वाम का अर्थ है बाईं दिशा या उत्तर दिशा। बायां भाग दाहिनी ओर के विपरीत है। बायीं ओर चंद्रनाड़ी है। इससे ठंडक मिलती है। उत्तरी पक्ष का मानना ​​है कि यह आध्यात्मिकता का पूरक है। इसीलिए पूजा के लिए वाममुखी गणपति को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन इस गणपति की पूजा नियमित रूप से की जाती है। बायीं सूंड के गणपति के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं। इसलिए घर में गणेश जी की स्थापना करते समय बाईं सूंड वाली मूर्ति को प्राथमिकता दी जाती है।

सीधी सूंड वाले गणपति
सुषुम्ना नाड़ी से संबद्ध यह रूप ऊर्जा को संतुलित करने का प्रतीक है। उनके उपासक भी संतुलन चाहते हैं।

ऊपर वाली सूंड के गणेश
सबसे ऊपर सूंड वाले गणेशजी आध्यात्मिकता जागृत करने वाले माने जाते हैं। ये उच्च कुंडलिनी शक्ति को जागृत करते हैं।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups