मुंबई। महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra police) ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को सूचित किया कि वे कोल्हापुर जिले के विशालगढकिले के पास सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई इसलिये नहीं कर सके क्योंकि भारी बारिश और कोहरे के कारण दृश्यता कम थी। न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एफ पी पूनीवाला की खंडपीठ के समक्ष शाहुवाड़ी पुलिस स्टेशन (Kolhapur) के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक द्वारा दायर एक हलफनामे में पुलिस ने कहा कि उन्होंने छत्रपति संभाजीराजे और दो कार्यकर्ता रवींद्र पडवाल और बंदा सालुंखे को विशालगढ़ किले के पास गजपुर गांव की ओर एक सशस्त्र भीड़ का नेतृत्व करने के लिए पूर्व संसद सदस्य (Member of Parliament) के खिलाफ पांच प्रथम सूचना रिपोर्ट (First Information Reports) दर्ज की हैं, जहां 14 जुलाई को सांप्रदायिक हिंसा हुई थी।
पुलिस ने कहा कि उसी दिन वीर बाजीप्रभु देशपांडे का 'शौर्य दिवस' था, जिसके लिए लोग श्रद्धांजलि देने के लिए विशालगढ़ के पास पावनखिंड नामक स्थान पर जाते हैं, इसलिए उस स्थान पर सैकड़ों लोग एकत्र हुए थे। हलफनामे में कहा गया है कि अधिकारी इस बात को लेकर “भ्रमित” थे कि लोगों को पवनखिंड जाने की अनुमति दी जाए या नहीं क्योंकि वे श्रद्धांजलि देने के इच्छुक वास्तविक व्यक्तियों और विशालगढ़ में प्रवेश करने के इच्छुक उपद्रवियों के बीच अंतर नहीं कर पा रहे थे।
हलफनामे में दंगे और अचानक पथराव पर प्रकाश डाला गया जिसमे 18 पुलिसकर्मी घायल हो गये थे।
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Mon, Jul 29 , 2024, 08:59 AM