गुरु एक ऐसा शब्द है जो ज्ञान, प्रेरणा और मार्गदर्शन को दर्शाता है। गुरु वे होते हैं जो अंधकार में प्रकाश लाते हैं, अज्ञानता को दूर करते हैं और जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) , जिसे 'व्यास पूर्णिमा' और 'वेद पूर्णिमा' ('Vyasa Purnima' and 'Veda Purnima') के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म (Hindu Religion) का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष 'गुरु पूर्णिमा' 21 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के बीच के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं। गुरु पूर्णिमा हमारे आध्यात्मिक गुरुओं के साथ-साथ अकादमिक गुरुओं को सम्मानित करने के लिए भारत में मनाया जाने वाला एक त्योहार है। बच्चों पर गुरु पूर्णिमा के संस्कार डालने के लिए माता-पिता को बच्चों को कुछ विशेष बातें सिखाने की जरूरत है।
गुरुपूर्णिमा कब है?
इस साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 यानी आज है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा 20 जुलाई को शाम 05:59 बजे शुरू होगी। 21 जुलाई को दोपहर 03:46 बजे समाप्त होगा। इसलिए इस साल गुरुपूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जा रही है.
गुरुपूर्णिमा का इतिहास
हिंदू धर्म के संस्थापक माने जाने वाले भगवान वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था। वेद व्यास ने महाभारत, वेद और पुराण सहित कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की। इसके अलावा, गुरु पूर्णिमा को भगवान कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को ज्ञान प्रदान करने के लिए चुना था। भगवान बुद्ध ने भी इसी दिन अपने प्रथम पांच शिष्यों को उपदेश दिया था।
गुरुपूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?
इस दिन लोग अपने गुरु के पैर छूकर, उन्हें मिठाइयाँ और फूल चढ़ाकर और उनका आशीर्वाद लेकर अपना आभार व्यक्त करते हैं। गुरु मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। कई जगह गुरुशिष्य परंपरा को दर्शाने वाले नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन लोग दान-पुण्य भी करते हैं। बच्चों को इस गुरु पूर्णिमा का इतिहास बताएं.
बच्चों को कृतज्ञता सिखाएं
हर व्यक्ति के जीवन में कुछ गुरु होते हैं, खासकर वे जो किसी को गुरु नहीं मानते, वे अपने जीवन में किसी न किसी से सीखते हैं। हम सभी के जीवन में एक आदर्श होता है। वे भी हमारे शिक्षकों की तरह हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन सभी को अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल गुरु और शिष्य के बीच संबंध बेहतर होते हैं बल्कि दोनों का आपसी सम्मान भी बढ़ता है।
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Sun, Jul 21 , 2024, 09:52 AM