मुंबई: फेफड़े का कैंसर(Lung cancer) दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में यह समस्या और भी भयावह होती जा रही है। हाल ही में हुए एक शोध से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। परंपरागत रूप से धूम्रपान को फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है। लेकिन भारत में फेफड़ों के कैंसर के आधे से अधिक मरीज़ों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है।
शोध क्या कहता है?
इस नए शोध के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया में फेफड़ों का कैंसर अन्य एशियाई देशों और पश्चिमी देशों से अलग है। द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल(Lancet Regional Health Southeast Asia Journal) में प्रकाशित शोध के अनुसार, 2019 में भारत में लगभग 1.2 मिलियन नए कैंसर के मामले और 9.3 मिलियन मौतें हुईं। तम्बाकू, धूम्रपान, निष्क्रिय धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण माना जाता है। लेकिन इस नए शोध में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इस शोध के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर के कई रोगियों ने कभी तंबाकू का सेवन नहीं किया और न ही कभी धूम्रपान किया।
1990 में फेफड़ों के कैंसर की घटना प्रति लाख जनसंख्या पर 6.62 थी, जो 2019 में बढ़कर 7.7 हो गई है। विशेषकर शहरी क्षेत्रों में यह राशि 2025 तक काफी बढ़ने की संभावना है।
ये कारण हो सकते हैं
इस शोध से पता चलता है कि भारत में लोगों की आनुवंशिक संरचना से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इस शोध के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर के मरीज पश्चिम के मुकाबले औसतन दस साल कम उम्र के हैं। यह कैंसर विशेष रूप से 54 से 70 वर्ष की आयु के लोगों में आम है। इसका कारण भारत की युवा जनसंख्या (औसत आयु 28.2 वर्ष) और अमेरिका (38 वर्ष) और चीन (39 वर्ष) में अपेक्षाकृत कम आयु होना हो सकता है।
इसके अलावा, वायु प्रदूषण और आनुवंशिक संरचना से भी फेफड़ों के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, पुरुषों में तंबाकू के सेवन के अधिक प्रचलन के कारण फेफड़ों के कैंसर के मामले महिलाओं (14.2 प्रतिशत) की तुलना में पुरुषों (42.4 प्रतिशत) में अधिक आम हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences), नई दिल्ली के शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन और फेफड़ों के कैंसर के बीच संबंधों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि एशिया में राष्ट्रीय आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित देश चीन, भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड थे, जहां 2020 में फेफड़ों के कैंसर के मामलों की संख्या सबसे अधिक थी। इस साल इन देशों में 9.65 लाख नए मामले सामने आए। इसका मतलब यह है कि बढ़ता वायु प्रदूषण धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण बन रहा है।
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Thu, Jul 18 , 2024, 08:08 AM