Chanakya Niti: कोई भी नहीं चाहता कि उसके पास ढेर सारा पैसा (He should have a lot of money) हो। लेकिन पैसा वह लक्ष्मी (Money is Lakshmi) नहीं है जो हर जगह निवास करती है। पति-पत्नी (Husband-wife) के बीच की कोई बात भी इसका कारण बनती है। हर किसी को अपने घर में लक्ष्मी नंदवी का अहसास होता है। लेकिन लक्ष्मी की गंध हर जगह नहीं होती। कुछ स्थान ऐसे हैं जहां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसका उल्लेख आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की चाणक्यनीति में मिलता है।
यत्र सुसंचितम्, वह मूर्ख जो अन्न की पूजा नहीं करता। दम्पत्ये कल्हो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमगता।। यह बात चाणक्यनीति के इस श्लोक में कही गई है।
इसका अर्थ है जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती, जहां भोजन आदि प्रचुर मात्रा में होता है। जहां पति-पत्नी के बीच कोई झगड़ा न हो। कोई तर्क नहीं है। ऐसे स्थानों पर लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करती हैं। चाणक्य का मतलब है कि जो लोग मूर्खों की बजाय गुणी लोगों का सम्मान करते हैं। अपने गोदाम में अपना भोजन अच्छी तरह जमा कर लें। जिसके घर-संसार में कोई झगड़े नहीं, कोई मतभेद नहीं। उनकी संपत्ति अपने आप बढ़ जाती है।
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Wed, Jul 17 , 2024, 09:55 AM