Chaturmas 2024 Date: 17 जुलाई से शुरू हो रहा है चातुर्मास! जानिए चार महीनों तक क्या करें और क्या न करें

Wed, Jul 17 , 2024, 11:19 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Rules of Chaturmas: चातुर्मास आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष (Ekadashi Tithi of Shukla Paksha) की एकादशी तिथि से शुरू होता है और इस बार यह तिथि 17 जुलाई, बुधवार को है। इस तिथि को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा के लिए क्षीरसागर (Kshirsagar) चले जाते हैं, जिससे चार महीने का चातुर्मास शुरू हो जाता है। चातुर्मास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चातुर्मास (Chaturmas) में जप, तप और पूजा का विशेष महत्व होता है, ऐसा करने से आत्मा शुद्ध होती है और अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं चातुर्मास का महत्व और इन चार महीनों के दौरान क्या करें और क्या न करें...

चातुर्मास का महत्व:
चातुर्मास 17 जुलाई आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होता है और 12 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को समाप्त होता है। चातुर्मास में सावन (Sawan), भाद्रपद (Bhadrapada), आश्विन और कार्तिक (Ashwin and Kartik) नामक चार महीने होते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और उसके बाद भगवान शिव चार महीनों तक सृष्टि का संचालन करते हैं। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और उनके नामों का स्मरण करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक लाभ मिलता है।

चातुर्मास में क्या करें:
चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन तपस्या और भक्ति की स्थिति में रहकर सत्यनारायण का जप करना और कथा सुनना बहुत शुभ माना जाता है।
चातुर्मास के दौरान देवता की पूजा, प्रार्थना, सत्संग, दान, यज्ञ, तर्पण, धैर्य और पूजा करनी चाहिए।
चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सामाजिक कार्य करना चाहिए।
चातुर्मास में सूर्योदय से पहले उठकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
चातुर्मास के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसके अलावा पांच प्रकार के दान अन्न दान, दीप दान, वस्त्र दान, छाया दान और श्रम दान का विशेष महत्व है।
चार महीनों में अधिकांश समय मौन रहना चाहिए और दिन में केवल एक बार अच्छा भोजन करना चाहिए। इसके अलावा चार महीने तक जमीन या फर्श पर सोएं।
चातुर्मास के दौरान ब्रजधाम की यात्रा बहुत शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान सभी तीर्थ यात्री ब्रजधाम आते हैं।

चार महीनों के दौरान क्या न करें:

  • चातुर्मास के दौरान विवाह संस्कार, गृह प्रवेश, मुंडन, जातकर्म संस्कार आदि 16 शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इसके अलावा नीले या काले रंग के कपड़े भी न पहनें।
  • चातुर्मास के दौरान बिस्तर या सोफे पर नहीं सोना चाहिए। साथ ही इस दौरान क्रोध, अहंकार या घमंड भी नहीं करना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान ब्रजधाम के अलावा किसी अन्य स्थान पर न जाएं।
  • चातुर्मास के दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए। कठोर शब्दों, अनैतिक कार्यों, झूठ आदि से भी बचें।
  • चातुर्मास के दौरान तेल, दूध, दही, चीनी, मिठाई, अचार, पत्तेदार सब्जियों से बनी चीजें। मसालेदार भोजन, मांस, शराब, सुपारी आदि के सेवन से बचना चाहिए।

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