नाबालिग के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, उच्चतम न्यायालय ने 14 साल की दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति

Mon, Apr 22, 2024, 01:38

Source : Hamara Mahanagar Desk

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने असाधारण परिस्थितियों और संबंधित मेडिकल रिपोर्ट (relevant medical reports) के मद्देनजर एक 14 वर्षीया दुष्कर्म पीड़िता को उसके 30 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की सोमवार को अनुमति दे दी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने पीड़िता की ओर से उसकी मां द्वारा दायर याचिका पर विचार के बाद संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय करने की अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश पारित किया।

शीर्ष अदालत ने बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के चार अप्रैल 24 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें चिकित्सीय माध्यम से गर्भपात कराने की पीड़िता की याचिका खारिज कर दी गई थी। पीठ ने अपने फैसला सुनाते हुए कहा, "मेडिकल बोर्ड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि गर्भावस्था से उस‌ नाबालिग के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।"

पीठ ने अपना आदेश जारी करने के लिए 19 अप्रैल को इस अदालत के निर्देश पर मुंबई के सायन अस्पताल द्वारा गठित एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर भरोसा किया। शीर्ष अदालत ने सायन अस्पताल को निर्देश दिया कि वह नाबालिग के गर्भपात कराने के लिए चिकित्सकों की एक टीम गठित करे।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मामले में प्राथमिकी 'मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट' के तहत निर्धारित 24 सप्ताह की अवधि के बाद दर्ज की गई थी। उस नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न किया गया था और इसके बाद वह गर्भवती हो गई। इस संबंध में 20 मार्च 24 को नवी मुंबई में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

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