महानगर संवाददाता
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) ने मराठा आरक्षण कानून ( maratha reservation law) पर तत्काल रोक लगाने से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस कानून का विरोध करने वाली याचिका और अन्य जनहित याचिकाओं पर 10 अप्रैल को एक साथ सुनवाई की जाएगी। वकील गुणरत्न सदावर्ते सहित अन्य ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण के विरोध में याचिका दायर की थी। इस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
सरकार ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण (10 percent reservation) देने का कानून बनाया है। वकील सदावर्ते ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने मांग की थी कि सरकार ने पुलिस भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है, साथ ही मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया भी इसी माह होगी, ऐसे में याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए। अदालत ने उनकी मांग स्वीकार कर ली, लेकिन तत्काल आरक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
सदावर्ते ने अदालत से कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने से राज्य में आरक्षण की 50 फीसदी से सीमा पार हो गई है। उन्होंने अदालत को बताया कि मराठा आरक्षण के कारण राज्य में ओपन कैटेगरी के लिए केवल 38 फीसदी जगह रह जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समाज को पहले दिया गया आरक्षण रद्द कर दिया है, इसके बावजूद सरकार ने उन्हें आरक्षण दिया। उन्होंने कहा कि एक विशेष समाज को आरक्षण देने का फैसला राजनीति से प्रेरित है। सदावर्ते सहित चार अन्य लोगों ने मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की है। हालांकि अदालत ने तत्काल आरक्षण पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने राज्य सरकार को इन याचिकाओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।
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Tue, Mar 12 , 2024, 08:43 AM