मुंबई: मराठा समुदाय (Maratha community) के पिछड़ेपन को साबित करने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (Backward Classes Commission) द्वारा किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) ने आयोग के अध्यक्ष से स्वीकार कर लिया। साथ ही इस रिपोर्ट को नियमानुसार कैबिनेट की बैठक (cabinet meeting) में पेश कर चर्चा की जाएगी। साथ ही 20 फरवरी को होने वाले विशेष सत्र में इस पर चर्चा होगी और मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चूंकि सरकार सकारात्मक है, इसलिए मनोज जारांगे को अपना अनशन तोड़ देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''मराठा समुदाय के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग को एक संदर्भ शब्द दिया था। इसके अनुसार, आयोग ने दिन-रात और साढ़े तीन से चार बजे तक काम किया।'' लाखों लोग चौबीस घंटे काम कर रहे थे, कई लोगों ने इसमें हमारी मदद की।
जब देवेन्द्र फड़णवीस मुख्यमंत्री थे तो मराठा समुदाय को जो आरक्षण दिया गया था, उसे हाई कोर्ट (High Court) में बरकरार रखा गया था। उस समय जिन लोगों ने सहयोग किया था, उन्हें भी इस काम में मदद मिली। इसमें पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी आवश्यक व्यवस्थाओं को अमल में लाया और उनका सहयोग लिया। इसके बाद उन्होंने आज यह अहम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
बहत्तर करोड़ से अधिक परिवारों का सर्वेक्षण
यह रिपोर्ट कैबिनेट बैठक में रखी जाएगी और सरकार इस पर फैसला लेगी। हमने इसके लिए 20 फरवरी को एक विशेष सत्र की घोषणा की है। इस सत्र में इस पर चर्चा होगी। इस काम में कलेक्टर, संभागीय आयुक्त, नगर निगम आयुक्त और उनकी टीम काम कर रही थी। इसमें 172 करोड़ से ज्यादा परिवारों का सर्वे किया गया। इसलिए मैं एक बार फिर चेयरमैन शुक्रे और उनकी टीम को बधाई देता हूं।
जिस तरह से काम किया गया है, उसके कारण हमारा मानना है कि मराठा समुदाय को शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन के संदर्भ में और कानून के दायरे में, ओबीसी (OBC) को कोई झटका दिए बिना और अन्य समुदायों के साथ अन्याय किए बिना आरक्षण दिया जा सकता है।आज ज्यादा बातचीत करना उचित नहीं है।
क्या नए कानून में SEBC के मुताबिक आरक्षण दिया जाएगा?
जिनका पुराना रिकार्ड कुनबी है, 1967 से पहले का कानून पुराना है, हमने उसे नया नहीं बनाया है। अब यह मराठा आरक्षण (Maratha reservation) है जिसके लिए कोई रिकॉर्ड नहीं है, सरकार ने वही आरक्षण देने का फैसला किया है जो हमें पहले दिया गया था।
जारंगे को अपनी भूख हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए
अब 20 तारीख को विशेष सत्र है, उससे पहले कैबिनेट चर्चा करेगी। सरकार इसके लिए सकारात्मक रूप से काम कर रही है। सरकार का रुख पहले दिन से ही साफ है कि ओबीसी समुदाय को झटका दिए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए।
इसके लिए एक शिंदे समिति का गठन किया गया, जिसके बाद कुनबी रिकॉर्ड(Kunbi records) पाए गए और प्रमाणित किए गए। इसलिए सरकार के सकारात्मक होने पर आंदोलन का रुख अपनाना उचित नहीं है, इसलिए उन्हें आंदोलन वापस ले लेना चाहिए। इसमें आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया गया है। अब हम अपील कर रहे हैं कि अगर सरकार सकारात्मक है तो उन्हें आंदोलन वापस ले लेना चाहिए।
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Fri, Feb 16 , 2024, 10:20 AM