मुंबई : जनऔषधि (Janaushadhi) को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अलग अलग प्रयास किये जा रहे हैं। जनऔषधि को लिलार सेंट फ्रांसिस मैनेजमेंट स्टडीज के छात्र और प्रधानमंत्री जनऔषधि स्टोर (Janaushadhi Store) पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया इस सेमिनार में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधीय परियोजना के पूर्व सीईओ बिपलाप चटर्जी, स्टोर के प्रोप्रइटर विजय गोसर और इंस्टिट्यूट की की डायरेक्टर डॉ शालिनी सिन्हा ने जान औषधि के बारे में सेमिनार में आये छात्रों को संबोधित किया। जन औषधि में मिलनेवाली दवाइयों की क्वालिटी वैसे ही होई हैं जैसे ब्रांडेड दवाइयों की होती हैं।
दरअसल एक प्रोजेक्ट छात्रों ने तैयार किया जिसका प्रारूप सभी के सामने रख गया। इसके अलावा वक्ताओं ने बच्चों का मार्गदर्शन भी किया। जिसमें जन औषधि को लेकर बिपलाप चटर्जी (Biplap Chatterjee) ने दवाइयों की क्वालिटी को लेकर चिंता न किये जाने को लेकर आश्वस्त किया है। उन्होंने बताया कि किस तरीके से प्रधामंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों में आनेवाली दवाइयां कितनी गुनवत्तेदार होती हैं इसपर छात्रों को संबोधित किया। इसके अलावा स्टोर चालक गोसर ने बताया कि ये दवाइयां कैसे कैंसर के पेशेंट को सस्ते में दवाइयां उपलब्ध कराती हैं। जिससे कइयों की जान बच जाती है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के पूर्व सीईओ बिपलाप चटर्जी ने बताया कि 2008 में जन औषधि नामक इस योजना को लॉन्च किया गया। लेकिन इसकी जागरूकता लोगों में नहीं थी। तब केवल स्टोर शुरू किए गए थे और जागरूकता न होने के कारण लोग महंगी दवाइयां लेते थे। 2014 में इस परियोजना में कुल 240 प्रकार की दवाईयाँ उपलब्ध थी और केवल 80 स्टोर थे। इसकके अलावा स्टोर पर दवाइयां कम उपलब्ध हो पाती थी। 2016 में जब वे यहां आए तब उन्होंने दवाइयों के उपलब्धता और क्वालिटी पर ध्यान देना शुरू किया। जिसके बाद डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन, एनएबीएल अप्रूव्ड लेबोरेटरी से टेस्टिंग और रेंडम चेकिंग के बाद दवाइयां लोगों तक उपलब्ध होने लगी थी। जिसका नतीजा यह रहा कि स्टोर जो 80 हुआ करते थे वे बढ़कर दो हजार के करीब हो गए हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र के चालक विजय गोसर ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया कि यहां पर लोगों का आशीर्वाद भरपूर मिलता है। जिसका कारण यह है कि जो आर्थिक रूप से कमजोर लोग होते हैं उन्हें दवाइयां सस्ते दामों में मिल जाती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जो दवाइयां बाजार में 80 रुपये में उपलब्ध हैं वो इन मेडिकलों में 8 रुपये तक मिल जाती हैं। इसके अलावा कैंसर की दवाइयां जो नार्मल बाजार में 3 से 4 हजार में में उपलब्ध होती हैं वही दवाइयां इन केंद्रों में मुश्किल से 350 से 450 रुपये में उपलब्ध हैं। इंस्टिट्यूट की डायरेक्टर ने बताया कि उन्होंने जनऔषधि पर जो सर्वे किया है उसमें 2818 सेंपल इकट्ठा किये गए। जिसमें पता चला कि ज्यादातर लोग जनऔषधि के बारे में जानते हैं। यही नहीं इन केंद्रों के बारे में भी उन्हें पता है लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके इलाके में मौजूद प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र कहाँ है यह उन्हें पता नहीं है।
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Tue, Feb 13 , 2024, 07:37 AM