असली दस्तावेज के आधार पर नकली कंपनी, जीएसटी की नोटिस आने के बाद हुआ खुलासा

Sat, Dec 23 , 2023, 05:53 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई : ठाणे के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि कुछ परिचितों ने उसके नाम पर एक कंपनी खोलने के लिए उसके दस्तावेजों का धोखाधड़ी से इस्तेमाल किया। उन्होंने कंपनी के नाम पर एक बैंक खाता भी शुरू किया जहां शिकायतकर्ता के नकली हस्ताक्षर (fake signature) का इस्तेमाल किया गया। यह शिकायतकर्ता को तब पता चला जब उसे कंपनी के नाम पर राज्य वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के 23 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक की नोटिस आई। जिसको लेकर शिकायतकर्ता ने एफआईआर (FIR) दर्ज करवाया है।

शिकायतकर्ता 42 वर्षीय रितेश पाटिल (Ritesh Patil) वर्तमान में ठाणे महानगर पालिका में एक कर्मचारी के तौर पर कार्यरत हैं। इस साल फरवरी में जीएसटी का भुगतान न करने के संबंध में जीएसटी विभाग से समन मिलने के बाद उन्हें मैजिक बुलियंस नामक कंपनी के निदेशक होने के बारे में पता चला। उन्होंने पुलिस को बताया कि इससे पहले उन्होंने कंपनी के बारे में भी नहीं सुना था।

शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि जब मैं जनवरी 2022 में काम नहीं कर रहा था, तब मैंने बैंक नौकरियों के बारे में एक विज्ञापन देखा था। मुझसे विज्ञापन देनेवाले ने अपने बैंक स्टेटमेंट के साथ पैन कार्ड (PAN card) और आधार कार्ड (Aadhar card) जैसे दस्तावेज़ जमा करने के लिए कहा था। उसके बाद, उन्होंने मेरे दस्तावेज के आधार पर एक खाता खोला। आरोपियों ने एक प्रतिष्ठित बैंक में मुझे यह कहते हुए बुलाया गया कि वहां नौकरी पाने के लिए बैंक में अकाउंट खोलना जरूरी है।

हालाँकि, प्लेसमेंट एजेंसी के एक प्रतिनिधि, जिसने अपना परिचय वैभव के रूप में दिया था, उसने नौकरी न मिलने का कारण शिकायतकर्ता की उम्र ज्यादा बताई। इसी तरह के मामले फिर से हुए जिसमें वैभव ने शिकायतकर्ता को नौकरी दिलाने के बहाने विभिन्न निजी बैंकों में उसके खाते खोलने में मदद की।

पुलिस को दिए गए बयान में शिकायतकर्ता ने कहा है कि खुद को वैभव बतानेवाले शख्स ने मेरी कॉल टालना शुरू कर दिया और मुझे नौकरी मिल गई, इसलिए मैंने उससे संपर्क नहीं किया। मैं वैभव द्वारा बनाए गए खातों को बंद करने के लिए तीन बैंकों में गया। हालांकि, एक प्रसिद्ध बैंक के चेंबूर ब्रांच में एक खाता था। जिसके बारे में मुझे पता भी नहीं था। यह वह खाता था जिसका उपयोग कंपनी के आधिकारिक खाते के रूप में किया गया था। जहां शिकायतकर्ता को निदेशक दिखाया गया था। जब वह उक्त बैंक शाखा में गए, तो पाटिल को एहसास हुआ कि न केवल आधिकारिक दस्तावेजों पर उनके सभी हस्ताक्षर नकली थे, बल्कि उनका पता, फोन नंबर और अन्य केवाईसी विवरण भी फर्जी थे। तभी उन्होंने चेंबूर पुलिस से संपर्क किया। शिकायकर्ता ने अपने बयानों के आधार पर कुछ बैंक कर्मचारियों पर धोखाधड़ी में शामिल होने का संदेह व्यक्त किया।

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