० मीरा बोरवणकर के सभी आरोपों को किया खारिज
० किताब की पब्लिसिटी के लिए की जाती हैं ऐसी बातें
० येरवडा की जमीन अपनी जगह, ऐसे में जांच कैसी?
महानगर संवाददाता
मुंबई। उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरा बोरवणकर (Meera Borvankar) के सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पुणे में येरवडा स्थित पुलिस विभाग का भूखंड निर्माण-उपयोग और हस्तांतरण के आधार पर विकसित किया जाना था। जब इस जगह की कीमत 3 करोड़ रुपए थी, तब सरकार को 15 करोड़ रुपए का फायदा हो रहा था, हालांकि पुणे की तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने जमीन हस्तांरित करने से इंकार कर दिया, उनके इंकार करने के बाद मैंने उस तरफ देखा तक नहीं। ऐसे में जमीन प्रकरण से मेरा किसी भी अर्थ में कोई संबंध नहीं है। पवार ने ताना मारते हुए कहा कि कभी-कभी पुस्तक की पब्लिसिटी के लिए ऐसी सनसनीखेज बातें की जाती हैं।
मीरा बोरवणकर (Meera Borvankar) ने अपनी किताब 'मैडम कमिश्नर' में अजित पवार का नाम लिए बगैर उन पर गृह विभाग की पुणे स्थित येरवडा की खाली जगह एक निजी बिल्डर को नीलामी के जरिए देने का दबाव डालने का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद राजनीतिक गलियारों में हंड़कंप मच गया। बोरवणकर ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में येरवडा जमीन मामले में अजित पवार पर फिर आरोप लगाए। इस आरोप के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने अजित पवार के खिलाफ जांच करने और जांच होने तक उन्हें कार्यमुक्त करने की मांग की। ऐसे में मंगलवार को अजित पवार ने मंत्रालय में प्रेस कांफ्रेंस लेकर मीरा बोरवणकर के सभी आरोप का खंडन किया। पवार ने सवाल किया कि येरवडा की जमीन अपनी जगह पर है, वह कहीं नहीं गई, ऐसे में जांच कैसे होगी?
अजित पवार ने कहा वे 1999 से सरकार में रहे हैं। सुधाकरराव नाईक मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में काम किया। सरकार में रहते हुए ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया, जिससे सरकार को नुकसान हो। एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की लिखी पुस्तक के आरोपों की वजह से मेरे खिलाफ खबरों को बल मिला है। दरअसल 2004 में मेरे पास पुणे के पालक मंत्री का पद आया। पालक मंत्री होने के नाते पुणे जिले की समीक्षा बैठक में येरवडा की जमीन का मामला मेरे सामने आया था। यह बात कहते हुए उन्होंने घटनाक्रम का ब्यौरा दिया।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री आरआर पाटिल के कार्यकाल के दौरान यानी 2008 में गृह विभाग ने इस संबंध में एक सरकारी आदेश जारी किया था। इस निर्णय के आधार पर येरवदा भूमि के संबंध में पुणे विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई। इस समिति ने एक प्रस्ताव तैयार किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक पुलिस को मकान, पुलिस कार्यालय के लिए जगह मिलेगी, हालांकि, समीक्षा बैठक में यह बात मेरे संज्ञान में आई कि तत्कालीन पुलिस आयुक्त इसके खिलाफ थीं। यह बात पता लगने के बाद मैं कबूल करता हूं कि मैंने संबंधित अधिकारी से पूछताछ की थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि उन्हें यह बात जंच नहीं रही है। तब मैंने कहा कि तुम्हें ठीक नहीं लग रही तो रहने दो, इसके बाद मैंने कभी मामले की तरफ देखा तक नहीं। यह मामला 15 साल पुराना है। इस मामले को लेकर समिति में मैं नहीं थी, न ही किसी बैठक में हाजिर रहा।
अजित पवार ने कहा कि इसके बाद पुणे शहर की जरूरत को देखते हुए विशेष तौर पर येरवदा में 3 हजार 900 वर्ग फुट जमीन को पीपीपी आधार पर विकसित करने का निर्णय लिया गया। इसमें नए पुलिस स्टेशन, शिवाजी नगर में पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त और पुलिस कर्मियों के लिए 495 सुसज्जित आवासों का निर्माण किया जाना था। हालांकि, इस बीच 2 जी घोटाला मामले में संबंधित कंपनी की ईडी जांच शुरू होने से मामला रुक गया था। आज भी यह स्थान पुलिस विभाग के नाम पर है। अजित पवार ने यह भी कहा कि पुणे डिविजन के तत्काल राजस्व आयुक्त दिलीप बंड ने इसका खुलासा किया है।
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Tue, Oct 17 , 2023, 07:23 AM