क्लाइमेक्स आ गया खुल कर
मुंबई: देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने कहा कि यह एनसीपी के अंदर की पिक्चर थी. कलाकार अंदर के थे. सारी स्क्रिप्ट अंदर ही लिखी गई. जब तक इस पिक्चर का कोई क्लाइमैक्स (climax of this picture) समझ नहीं आ रहा तब तक इस पर क्या प्रतिक्रिया दूं. पर अगर यह पिक्चर अंदरुनी थी तो बिना गब्बर के शोले कैसे बनी? रामगढ़ में कोई तो होगा जो बाहर से आया होगा, चलो गब्बर नहीं तो मोगेम्बो ही सही? लेकिन यहां गब्बर के आने से हुआ यही कि रामगढ़ वाले एक हो गए. महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) की गाड़ी चल पड़ी. टूटने से बच गई एनसीपी.
न आधे इधर, न आधे उधर थे- सारे के सारे वहां, शरद पवार जिधर थे
अंजलि दमानिया की प्रतिक्रिया गौर करने वाली है. उनका कहना है कि अजित पवार (Ajit Pawar) और प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) बीजेपी में जाने वाले थे. शरद पवार ने जो पिक्चर बनाई उस शोले का जो असरानी जेलर का किरदार है वो छोटे साहेब का है.याद कीजिए जब बड़े साहेब इस्तीफा दे रहे थे, तो छोटे साहेब अंग्रेजों के जमाने के जेलर की तरह सबको हांके जा रहे थे. उंगलियां नचा रहे थे. कह रहे थे- होता है जो, हो जाने दो, उस जेलर ने आज पीछे मुड़ कर देखा तो आधे ना इधर थे, ना आधे उधर थे. उनके पीछे तो बचा ही नहीं था कोई. सारे के सारे थे वहां, शरद पवार थे जहां. आज अजित पवार का साथ तो प्रफुल्ल भाई भी छोड़ गए.
जो 53 चुने हुए हैं, सब हैं शरद पवार की कमाई; अजित पवार को याद आई?
शरद पवार से कौन पंगा लेगा भाई. भूल गए? आज जो एनसीपी के 53 विधायक चुने गए हैं वे सब के सब शरद पवार की हैं कमाई. बाकी सारे तो इतने घोटाले कर चुके थे कि एनसीपी की लोकप्रियता खाई में समाई थी. तभी एक रैली में शरद पवार बारिश में भीग गए और इमोशनल माहौल बनाकर एनसीपी के ये तिरपन विधायक जीत गए. एक बार फिर पार्टी में बगावत की बू आने लगी थी. शरद पवार के कानों में एक धुन बजती जा रही थी- जूबी-डूबी-जूबी-डूबी पंपारा, खेल शिवसेना जैसा रचा जा रहा! पवार को समझ लिया था क्या कम? कूद पड़े वे कह कर, आ देखें जरा किसमें कितना है दम! पिछले चार दिनों में एनसीपी को उन्होंने एक बार फिर खाई से ऊंचाई पर ला खड़ा किया. देख कर उनका यह काम, सब कह रहे 82 साल के बुजुर्ग? या 28 साल के जवान!
लीजिए फडणवीस जी, पिक्चर का क्लाइमैक्स खुल गया! गब्बर का पता चल गया
शरद पवार ने खुद इस्तीफे का ऐलान किया. किसी को नहीं इसका भान था. अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने बताया कि उन्होंने सिर्फ अजित पवार से यह कहा था कि, ‘मैं रिटायर होने की सोच रहा हूं.’ इसके बाद शरद पवार ने वो कमेटी भी खुद कह कर बनवाई और कहा कि नया अध्यक्ष चुन लो भाई! सारे ऐसे-ऐसे लोग चुन कर कमेटी में थे जो या तो समझदार थे, या वफादार थे. राष्ट्रीय कार्यकारिणी का रोल भी अहम था. समिति में भी सिर्फ महाराष्ट्र के सदस्य ही नहीं थे. पी.सी.चाको, के.के.शर्मा, सोनिया दुहान, धीरज शर्मा, गुरजीत सिंह किर जैसे कई ऐसे नाम थे जिनमें से कोई दिल्ली का था, कोई गुड़गांव का, कोई यूपी का. इन नेताओं को अजित पवार से लेना-देना क्या? रही बात कमेटी के सदस्यों की, तो जयंत पाटील वफादार थे, प्रफुल्ल भाई समझदार थे. ऐसे ही वफादारों और समझदारों में एनसीपी बंट गए अजित पवार अकेले रह गए.
लो, फडणवीस जी! पिक्चर का क्लाइमैक्स खुल गया. सुराग मिल गया. आपका कहना सही है कि कलाकार भी अंदर के हैं, पटकथा भी अंदर की. लेकिन यह कैसे छुपाएंगे कि पिक्चर में गब्बर तो रामगढ़ के बाहर से ही आया था. फिलहाल ठाकुर ने तो गब्बर का प्लान फेल कर दिया है. अब सिक्वल की तैयारी कीजिए. 2024 आने में अभी टाइम है!
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Sat, May 06 , 2023, 10:51 AM