Maharashtra government: महाराष्ट्र में अनाथों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरी में 1% कोटा, 3 श्रेणी में बांटे गए... 

Sat, Apr 08 , 2023, 11:07 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने अनाथ बच्चों (orphans) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में एक फीसदी आरक्षण देने का आदेश जारी किया है। 18 वर्ष की आयु से पहले माता-पिता दोनों को खो चुके बच्चे नौकरी के पात्र होंगे। सरकार के जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि नौकरियों में कुल रिक्तियों की संख्या और प्रवेश के लिए खुली सीटों की संख्या के आधार पर अनाथों के लिए 1% आरक्षण प्रदान किया जाएगा। अनाथों को उन लोगों के लिए दो समान भागों में विभाजित किया जाएगा जो निजी अनाथालयों या सरकार के संचालित (government-run institutions) संस्थानों में रह रहे हैं या बाहर लाए जा चुके हैं।
जो अनाथ बच्चे अनाथालयों से अगर किसी रिश्तेदार के घर भेजे गए हैं और वे उनके साथ रह रहे हैं, वे भी सरकार की इस योजना का लाभ ले सकेंगे। सरकारी अनुमानों के अनुसार, राज्य में लगभग 800 बच्चों ने माता-पिता दोनों को कोविड के कारण खो दिया है।
संस्थानों में 4000 से ज्यादा अनाथ
2021 में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने कोटा को मंजूरी दी थी। राज्य में अकेले अनाथालयों में 4,000 से अधिक अनाथ हैं। माता-पिता, भाई-बहन, निकट सम्बन्धियों, गांव, तालुका की जानकारी के बिना अनाथालय में रहने वाले बच्चों को 'क' श्रेणी में रखा गया है।
A,B,C श्रेणी में बांटे गए बच्चे
एक बच्चा जिसने माता-पिता दोनों को खो दिया है, जिसके पास कोई जाति प्रमाण पत्र नहीं है और एक अनाथालय में रह रहा है, वह 'बी' होगा, और जिन बच्चों ने 18 साल की उम्र से पहले माता-पिता दोनों को खो दिया था, लेकिन रिश्तेदारों, विशेष रूप से उनके दादा-दादी या उनके नाना-नानी ने पाला है तो ऐसे बच्चे 'सी' श्रेणी में आएंगे।
अनाथ बच्चे अनुसूचित जाति के छात्रों की तर्ज पर आयु, ट्यूशन और परीक्षा शुल्क में रियायत के पात्र होंगे। लेकिन 'सी' से अनाथ बच्चों को शिक्षा में सभी रियायतें मिलेंगी, लेकिन वे सरकारी नौकरी के पात्र नहीं होंगे।
इस तरह कर सकेंगे आवेदन
जीओ में कहा गया है कि आरक्षण प्राप्त करने के लिए प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। संस्थान में अनाथ बच्चों के लिए वे अधीक्षक के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। वहीं जो निजी स्थानों पर पले-बढ़े हैं, वे जिला महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी को आवेदन कर सकते हैं। इसमें कोई जाति बाधा नहीं होगी उन्हें अनाथ श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाएगा।

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