युति ने उतारा कोकण शिक्षक सीट पर प्रत्याशी

Mon, Jan 09 , 2023, 07:19 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

ज्ञानेश्वर म्हात्रे को बनाया गया उम्मीदवार
मुंबई।
भाजपा-बालासाहेबांची शिवसेना ( BJP-Balasahebchi Shiv Sena) की युति ने महाराष्ट्र विधान परिषद के कोकण संभाग के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के आगामी चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने की घोषणा की। इस सीट पर ज्ञानेश्वर म्हात्रे को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) ने विश्वास जताया कि चुनाव में युति उम्मीदवार की जीत होगी।
सोमवार को यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बावनकुले ने कोकण शिक्षक सीट से ज्ञानेश्वर म्हात्रे की उम्मीदवारी की घोषणा की। इस दौरान उद्योग मंत्री उदय सामंत (Uday Samant) और सार्वजनिक लोक निर्माण मंत्री रविंद्र चव्हाण उपस्थित थे। दो स्नातक व तीन शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों समेत पांच विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल सात फरवरी को खत्म होगा और उनके लिए चुनाव 30 जनवरी को होगा। बावनकुले ने कहा कि एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार 11 जनवरी की शाम तक चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि यह पहली बार है कि भाजपा ने कोकण संभाग में शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव लड़ने के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। उपाध्ये ने कहा कि पहले हम शिक्षकों के संगठन शिक्षण परिषद का समर्थन करते थे। वह अपने उम्मीदवार खड़ा करती थी। इस बार हमने अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि म्हात्रे की उम्मीदवारी को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अंतिम रूप दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पार्टी चुनाव जीत जाएगी। विधान परिषद में केवल सात सीटें हैं, जहां शिक्षक अपना वोट डालते हैं और अपने प्रतिनिधियों को ऊपरी सदन में भेजते हैं।
बिहार में जमा किया जा रहा एंपिरिकल डेटा
एक सवाल के जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कानून के मुताबिक जनगणना का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। बिहार सरकार ओबीसी के बारे में जो जानकारियां जुटा रही है, वह जनगणना नहीं, बल्कि एंपिरिकल डेटा है। महाराष्ट्र में इसी पद्धति से एंपिरिकल डेटा एकत्रित करते हुए राज्य पिछड़ा वर्ग ने 432 करोड़ रुपए की मांग की, उस वक्त तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार ने यह मांग मंजूर नहीं की। उस वक्त छगन भुजबल ने मंत्री रहते हुए भी यह मांग नहीं की। अगर उस समय महाराष्ट्र में धनराशि स्वीकृत होती तो बिहार से पहले राज्य में ओबीसी की जानकारी जुटाने का काम होता। अगर भुजबल उस समय पत्राचार करते तो अच्छा होता।

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