भुजबल की ओबीसी की अलग जनगणना की मांग

Mon, Jan 09 , 2023, 06:38 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री को लिखा पत्र
मुंबई।
पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ राकांपा नेता छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की अलग से जनगणना कराने की मांग की है। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को लिखे पत्र में भुजबल ने कहा कि बिहार में जातिगत जनगणना की शुरुआत हुई है, इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी अन्य पिछड़ा वर्ग की अलग से जनगणना की जाए।
पत्र में उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। बिहार ने अभी हॉल ही में जातिगत जनगणना की शुरुआत की है। तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और कई अन्य राज्यों ने भी ओबीसी जनगणना की है और इसका उपयोग राज्य के विकास के लिए किया है। जनगणना का मामला केंद्र सरकार के अधीन है, हालांकि केंद्र सरकार ने ओबीसी की अलग से जनगणना कराने में असमर्थता प्रकट की है, इस वजह से राज्य सरकार की तरफ से बिहार की तर्ज पर ओबीसी की अलग से जनगणना कराई जाए।  
भुजबल ने कहा कि देश में अनुसूचित जाति और जनजाति की जातिगत जनगणना पिछले डेढ़ सौ साल से हो रही है। इसी जानकारी के आधार पर इस वर्ग की विकास, कल्याणकारी और आर्थिक प्रावधान किए जाते हैं। वर्ष 1980 में मंडल आयोग की सिफारिश के अनुसाद देश में पिछड़ा वर्ग अस्तित्व में आया, लेकिन ओबीसी जनगणना नहीं होने से सही जानकारी सामने नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1946 में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने ओबीसी आधारित अपनी किताब "शूद्र पूर्वी कोण होते ?" में ओबीसी जनगणना की मांग की थी, उन्होंने लिखा था कि ओबीसी की बाधाओं को जानना जरूरी है। पहले राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (कालेलकर आयोग) ने एक अलग ओबीसी जनगणना की मांग की। वर्ष 1980 में दूसरे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (मंडल आयोग) ने ओबीसी जनगणना की फिर से सिफारिश की थी।
बिहार में जातिगत सर्वेक्षण शुरू किया गया है, यह दो चरणों में किया जाएगा। हालांकि इसे जातिगत जनगणना नहीं कहा जा रहा है, लेकिन जनगणना में जाति संबंधी जानकारी जुटाई जा रही है। भारत में ओबीसी की आबादी कितनी है, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। मंडल कमीशन के अनुसार भारत में 52 फीसदी आबादी ओबीसी है, लेकिन यह आंकड़ा वर्ष 1931 की जनगणना के आधार पर है। बता दें कि महाविकास आघाड़ी सरकार के वक्त वर्ष 2020 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने का प्रस्ताव महाराष्ट्र विधानसभा में पारित किया गया था। इस प्रस्ताव को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने पेश किया था।

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