- कोरोना के अलावा 8500 करोड़ रुपये का हिसाब दे बीएमसी : मिश्रा
मुंबई: बीएमसी में 12000 करोड़ रुपये की जांच कर रही कैग की जांच को लेकर बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल (BMC commissioner IS Chahal) और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं। कमिश्नर चहल ने पिछले दिनों कैग को लीगल नोटिस दिया था कि पेंडमिक एक्ट 1897 के तरह कोरोना काल में हुए खर्च का कोई एजेंसी जांच नहीं कर सकती है। बीजेपी नेता विनोद मिश्रा (Vinod Mishra) ने कमिश्नर पर निशाना साधते हुए कहा कि पेंडमिक एक्ट में काम करते समय अधिकारी की नियति कैसी है इसका जिक्र किया गया है। राज्य सरकार ने 12000 करोड़ रुपये की कैग से जांच कराने का आदेश दिया है। कोरोना से निपटने पर बीएमसी ने 3500 करोड़ रुपये खर्च किया है। यदि बीएमसी 3500 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं देना चाहती है तो 8500 करोड़ रुपये का कैग को हिसाब दे। जो रोड, ब्रिज, सीवरेज जैसे प्रोजेक्ट पर खर्च हुए हैं। मिश्रा ने कहा कि बीएमसी ने कोरोना के दौरान सिर्फ पेंडेमिक एक्ट ही नहीं डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट भी लागू किया था। जिसके तहत कोविड सेंटर के लिए लैंड लेना, हॉस्पिटल को अपने कंट्रोल में लेने जैसे कई कदम उठाए थे। धारा 188 के तहत बीएमसी ने कई कार्रवाई की थी। जिसकी एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा से जांच चल रही है। ऐसे में बीएमसी प्रशासन कैग रिपोर्ट से कैसे भाग सकता है। मिश्रा ने बताया कि वर्ष 1904 में पेंडेमिक एक्ट के तहत पश्चिम बंगाल में 14 इमारतों को गिरा दिया गया था। जिसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने सभी को मुआवजा देने का आदेश दिया था। पिछले 25 वर्षों बीएमसी में प्रशासन और शिवसेना मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। कैग किसी भी भ्रष्टाचार की जांच कर सकती है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीजेपी नेताओं की शिकायत के बाद बीएमसी में 12000 करोड़ रुपये के खर्च की जांच कैग ने शुरू कर दी है। बीएमसी की नोटिस के बाद राज्य सरकार ने एडवोकेट जनरल से इस बारे में लीगल सलाह मांगी है।
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Sun, Jan 08 , 2023, 08:41 AM