Sangh Social Change: समाज मे परिवर्तन लाने के लिए घर-घर जाएं कार्यकर्ता : होसबाले!

Wed, Oct 01 , 2025, 08:40 PM

Source : Uni India

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Rashtriya Swayamsevak Sangh) ने कहा है कि संगठित शक्ति के बल पर भारत को परमवैभव पर ले जाएं। स्वा के आधर पर भारत को खड़ा करें। उन्होंने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए घर घर जाएं। राष्ट्र के नव निर्माण के लिये एक नया उमंग व उल्लास पैदा करें। यही संघ की अभिलाषा है।

बुधवार को लखनऊ के गोमतीनगर स्थित भागीदारी भवन के प्रेक्षागृह में राष्ट्रधर्म (monthly) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: विचार यात्रा के 100 वर्ष विशेषांक का लोकार्पण दत्तात्रेय होसबाले किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि समाज में जागृति लाने के लिए राष्ट्रधर्म की शुरुआत हुई। आजादी के बाद भारत की राष्ट्रीयता को हिन्दुत्व को जीवन के हर क्षेत्र में कैसे क्रियान्वित हो सकता है, समाज में संवाद के लिए पत्रिकाएं प्रारंभ हुई।

होसबाले ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा आसान नहीं थी। संघ पर प्रतिबंध भी लगा। संघ कार्यकर्ताओं को कष्ट भी उठाना पड़ा। लेकिन देश दुनिया में आज संघ की सराहना हो रही है। पत्र पत्रिकाओं में लेख आ रहे हैं। इसलिए जिन लोगों ने, कार्यकर्ताओं ने सहयोग व समय दिया, उनके प्रति आभार व्यक्त करें। सरकार्यवाह ने कहा कि भारत धर्म भूमि है। किसी भी देश का संकट हमारा संकट है। प्रकृति का उपयोग होना चाहिए उपभोग नहीं। समाज को परस्पर स्नेह वा आत्मीयता से संगठित करना है। समाज का दर्द हमारा दर्द है। भारत के विचार को हर क्षेत्र में स्वीकार करना। इस दौरान सरकार्यवाह ने पूर्व प्रचारकों को सम्मानित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पं. दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष विनोद सोलंकी ने कहा कि आज हम शताब्दी वर्ष के साक्षी बन रहे हैं। राष्ट्रधर्म के बारे में जब हम विद्यार्थी के रूप में इसके ध्येय पर चिंतन करते हैं तो यह स्मरण आता है कि यह यात्रा 1895 में स्वामी विवेकानन्द ने ब्रह्मवादिनी की रूप में शुरू की। उन्होंने कहा कि भारत भूमि योग भूमि है। ऋषियों की तपस्थली है। जब देश परतंत्र था तब भी भारत की आत्मा काम कर रही थी। विनोद सोलंकी ने कहा कि डा.हेडगेवार ने जो परम्परा शुरू की थी।

 वह परम्परा गुरू गोलवलकर, बाला साहब देवरस, रज्जू भैया, सुदर्शन और आज डा. मोहन भागवत के रूप आज भी जारी है। राष्ट्रधर्म के संपादक ओम प्रकाश पाण्डेय ने विशेषांक का परिचय करवाते हुए बताया कि संघ के द्वारा भारती की एकता, एकात्मता,अखण्डता व समरसता कैसी होनी चाहिए इसका उल्लेख विशेषांक में किया गया है।

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