लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा है कि फ्लैटों का कब्जा (Possession of flats) देने में देरी पर बिल्डर द्वारा, आवंटियों को इसके लिए ब्याज देने का आदेश उचित है। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ नोएडा के बिल्डटेक प्रा लि कंपनी (Noida's Buildtech Pvt Ltd company) को की सभी अपीलें खारिज कर दीं। कोर्ट ने यूपी रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें बिल्डर कंपनी को निर्देश दिया गया था कि वह आवंटियों को कब्जा देने में देरी पर आवंटियों को ब्याज का भुगतान करे। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सोमवार को यह फैसला नोएडा के बिल्डटेक प्रा लि कंपनी की ओर से दाखिल कई अपीलों पर दिया।
इनमें यूपी रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी गई थी। ट्रिब्यूनल ने बिल्डर कंपनी को आदेश दिया था की वह आवंटियों को कब्जा देने में बिलंब होने पर इसके लिए ब्याज दे। बिल्डर कंपनी की ओर से दलील दी गई कि कोविड- 19 की वजह से कब्जा देने में देरी हुई। यह परिस्थिति उनके नियंत्रण में नहीं थी। यह भी तर्क दिया कि आवंटियों ने बगैर किसी विरोध के कब्जे को स्वीकार कर लिया, ऐसे में उन्हें कब्जे में देरी के लिए ब्याज पाने का अधिकार नहीं था।
हालाकि, कोर्ट ने दलीलों को नहीं माना और अपीलों को खारिज कर दिया। ट्रिब्यूनल ने आदेश में कहा था कि बिल्डर को 1 जनवरी 2020 से 13 अक्तूबर 2022 तक की अवधि का बिलंब ब्याज देना होगा। यह एमआईसीआर से एक प्रतिशत अधिक होगा। हालांकि, इस अवधि में से कोविड - 19 के कारण छह महीने की छूट देने कभी निर्देश दिया था।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Tue, Sep 09 , 2025, 12:22 PM