Dharmasthala Controversy: ‘अनाम नकाबपोश’ के दावों का पूर्व सहायक ने किया खंडन!

Fri, Aug 22 , 2025, 08:53 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

धर्मस्थल: कर्नाटक के धर्मस्थल में कथित सामूहिक दफन विवाद में नाटकीय मोड़ आया है क्योंकि तथाकथित ‘अनाम नकाबपोश’ के दावों का पूर्व सहायक राजू ने सार्वजनिक रूप से खंडन किया है। राजू ने आठ वर्षों तक धर्मस्थल में लावारिस एवं अनाथ शवों की देखभाल करने का काम किया है और उन्होंने मीडिया से कहा कि अवैध रूप से शवों को दफनाने के आरोप पूरी तरह से झूठे हैं।

राजू के अनुसार, सभी शवों को दफ़नाने का काम क़ानूनी तरीक़े से और कड़ी निगरानी में किया गया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लावारिस शवों का दाह संस्कार या दफ़न क़ानूनी नियमों के अनुसार किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया, “शवों का अंतिम संस्कार डॉक्टरों एवं पुलिस की मौजूदगी में किया गया और सभी दफ़न का हिसाब रखा गया। आमतौर पर 50 से 500 रुपये तक का कोई भी भुगतान सिर्फ़ प्रक्रियात्मक उद्देश्यों के लिए किया गया न कि किसी अवैध गतिविधियों के लिए।”

राजू ने ‘अनाम नकाबपोश’ पर सनसनी फैलाने के लिए जानबूझकर दफ़नाने वाली जगहों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। राजू ने आगे कहा ‘’वह अधिकारियों को असली दफ़नाने वाली जगहों के बजाय अलग-अलग जगहें दिखा रहा था जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठते हैं। उसके आरोप शायद आर्थिक रूप से प्रेरित थे।’’ पूर्व सहायक ने हत्या, यौन उत्पीड़न या चोरी के सभी आरोपों से भी इनकार किया। उन्होंने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर बेलथांगडी में पोस्टमार्टम किया गया और पुलिस एवं डॉक्टरों ने सभी कार्रवाइयों का दस्तावेजीकरण किया और गवाहियां लीं।

राजू ने जोर देकर कहा कि उस अज्ञात व्यक्ति के पास कानूनी प्रक्रियाओं में कोई अधिकार या भागीदारी नहीं थी और उसने केवल गलत जानकारी देकर भ्रम उत्पन्न किया। उन्होंने यह भी कहा कि शवों को संभालने की प्रक्रिया नियमित थी जिसमें सुरक्षित निपटान एवं उचित रिकॉर्डिंग शामिल थी तथा भुगतान केवल तभी किया जाता था जब प्रक्रियात्मक उद्देश्यों के लिए आवश्यक होता था।

विशेष जांच दल (एसआईटी) के अधिकारियों ने हाल ही में दावों की पुष्टि के लिए उस गुमनाम व्यक्ति से जुड़े लोगों से पूछताछ की है। राजू ने एसआईटी को अपना विस्तृत बयान पहले ही दे दिया है जिसमें उन्होंने समय-सीमा, प्रक्रियाओं और वर्षों से अपनी ज़िम्मेदारियों का उल्लेख किया है। इस खुलासे ने ‘अनाम नकाबपोश’ के दावों की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न कर दिया है और आरोपों को सनसनीखेज बनाने से पहले सावधानीपूर्वक जांच के महत्व पर बल दिया है।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रहा है अधिकारियों का लक्ष्य धर्मस्थल की दफन प्रथाओं की स्पष्ट तस्वीर पेश करना और यह पुष्टि करना है कि कोई गलत काम नहीं हुआ है। राजू की गवाही ने इस मामले में लोगों की दिलचस्पी को और ज्यादा बढ़ा दिया है।

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