भुवनेश्वर: भारत की प्राचीन जनजातीय भाषाओं को संरक्षण प्रदान करने के लिये केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के माध्यम से केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूरु और ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के सहयोग से 89 जनजातीय भाषा ‘प्राइमरों’ सहित कुल 117 ‘प्राइमरों’ को विकसित और ‘लॉन्च’ किया है।
शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने आज एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। गौरतलब है कि जनजातीय भाषा प्राइमर्स ऐसी शैक्षिक सामग्रियां हैं जिन्हें स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण और शिक्षण का समर्थन करने के लिए विकसित किया गया है। इनका उपयोग अक्सर प्रारंभिक शिक्षा में किया जाता है। मंत्री ने बताया कि जनजातीय भाषा प्राइमरों में से 15 ओडिशा से हैं।
ओडिशा की 15 भाषाओं (देसिया, कुवी, गदबा (गुटोब), जुआंग, कुई, किसान, संथाली (ओडिया), सवारा (सोरा), गोंडी-ओडिया, हो-ओडिया, ओडिया, कंधा (खोंड), माल्टो, मुंडा, परजी (दुरुआ)) में प्राइमर हैं। इसके अलावा कक्षा एक और कक्षा दो के ‘जॉयफुल मैथमेटिक्स’ का संथाली और बोडो में भी अनुवाद किया गया है।
ये कम से कम 10,000 आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। ये प्राइमर बहुभाषावाद का समर्थन करने और बच्चों की मातृभाषा को शिक्षण के माध्यम के रूप में उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप हैं। गौरतलब है कि जनजातीय भाषा प्राइमर्स ऐसी शैक्षिक सामग्रियां हैं जिन्हें स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण और शिक्षण का समर्थन करने के लिए विकसित किया गया है। इनका उपयोग अक्सर प्रारंभिक शिक्षा में किया जाता है।
यह मिशन केंद्र प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना के तत्वावधान में स्थापित किया गया है। मंत्री ने लिखित उत्तर में बताया कि समग्र शिक्षा योजना के तहत सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना सभी शिक्षार्थियों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा तक समान पहुँच प्रदान की जाती है।
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Thu, Aug 21 , 2025, 08:37 AM