Bhagwat releases the book: भागवत ने किया “तन समर्पित, मन समर्पित” पुस्तक का विमोचन!

Tue, Aug 19 , 2025, 08:15 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Dr Mohan Bhagwat) ने सोमवार को कहा कि एक समर्पित कार्यकर्ता की पहचान उपाधियों, धन या सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता से होती है।

डॉ. भागवत ने आज यहां स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान पर आधारित पुस्तक “तन समर्पित, मन समर्पित” के विमोचन के मौके पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रकाश के प्रेरणादायक गुणों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे उनके जीवन में त्याग, अनुशासन और सामाजिक सद्भाव के प्रति अथक प्रतिबद्धता के आदर्श प्रतिबिम्बित हुए। एक समर्पित कार्यकर्ता की पहचान उपाधियों, धन या सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता से होती है। 

ऐसा व्यक्ति शांत, त्याग की भावना से परिपूर्ण होता है, हमेशा ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए तत्पर रहता है। कभी भी पहचान की चाह नहीं रखता और हमेशा अपने उदाहरण से दूसरों को प्रेरित करता रहता है। रमेश इन गुणों के प्रतीक थे। उनकी सबसे बड़ी शिक्षाओं में से एक थी राष्ट्र सेवा पारिवारिक ज़िम्मेदारियों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। गृहस्थ आश्रम के ढांचे के भीतर, उन्होंने हमें दिखाया कि कैसे परिवार का पालन-पोषण प्रेम और जिम्मेदारी से किया जा सकता है और उसी भावना को समाज और राष्ट्र तक भी पहुंचाया जा सकता है। व्यक्तिगत कर्तव्यों को जनसेवा के साथ सामंजस्य बिठाकर, उन्होंने प्रदर्शित किया कि दोनों अलग नहीं, बल्कि पूरक हैं।

डॉ. भागवत ने प्रकाश की सादगी और समर्पण का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्तित्व समाज के नैतिक ताने-बाने को मज़बूत करते हैं और बिना किसी पहचान या सामाजिक प्रतिष्ठा की लालसा के प्रकाश ने राष्ट्र और उसके लोगों के कल्याण के लिए निरंतर परिश्रम किया और अपने आदर्श की शांत उदात्तता से सभी को प्रेरित किया। वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सार्वजनिक जीवन में श्री प्रकाश के योगदान की सराहना की और कहा कि कैसे उनके मूल्य समाज की सेवा में पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

वहीं, मीडिया संस्थान इंडिया टू डे समूह की अध्यक्ष कली पुरी ने इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत त्याग के महत्त्व की समयोचित याद दिलाती है और पंच परिवर्तन के विचार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है। यह पुस्तक श्री प्रकाश की अथक यात्रा को दर्शाती है, जिनका जीवन निस्वार्थ सेवा, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था। इस कार्यक्रम में डॉ. भागव, गुप्ता, पुरी के अलावा स्वर्गीय रमेश प्रकाश की पत्नी आशा शर्मा और काफी संख्या में विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, शोधार्थी, विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

सुरुचि प्रकाशन से प्रकाशित यह पुस्तक रमेश प्रकाश की जीवन-यात्रा को दर्शाती है। उनका जीवन निस्वार्थ सेवा, समाज कल्याण और राष्ट्र उत्थान के लिए समर्पित रहा। प्रकाश सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ और अनुशासित होने के साथ-साथ त्याग और देशभक्ति के उन आदर्शों के प्रतीक थे, जिन्हें आरएसएस ने सदैव पोषित किया है। सामुदायिक विकास और युवा लामबंदी से लेकर सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के प्रयासों तक, उनका कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

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