नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने विश्व में बढते संरक्षणवाद के बीच विकसित और वैश्विक रूप से हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आत्मनिर्भरता और स्वदेशी को मूल मंत्र बताते हुए राजनीतिक दलों (political parties) और सभी देशवासियों से इसके लिए अपनी पूरी शक्ति लगाने का पुरजोर आह्वान किया है। मोदी ने भारत के खिलाफ व्यापार के क्षेत्र में बढ रहे दबावों के बीच कहा कि विकसित भारत के लिए आत्मनिर्भरता अनिवार्य शर्त है। उन्होंने कहा कि भारत अपने किसानों तथा कमजोर वर्गों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और स्वदेशी को अपनी मजबूती के लिए अपनाकर दूसरों को मजबूर करेगा।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को यहां 79 वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से 12 वीं बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपने अब तक के सबसे लंबे भाषण में देश के समक्ष चुनौतियों , देश की ताकत और देश के भविष्य का खाका प्रस्तुत किया जिसमें रक्षा और सुरक्षा से लेकर आर्थिक , सामाजिक और तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया है। उन्होंने इसी संदर्भ में नयी योजनाओं और पहलों की घोषणा की जिसमें युवाओं के लिए रोजगार योजना, सैन्य और असैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए मिशन सुदर्शन चक्र, अवैध घुसपैठियों से निपटने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त मिशन, जीएसटी में नयी पीढी के सुधार, देश को दस लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सुधारों पर कार्य बल के गठन , लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी इंजन के विकास , परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में विस्तार और खनिज तेल तथा गैस के लिए गहरे समुद्र में अन्वेषण के लिए समुद्र मंथन जैसी कई घोषणाएं शामिल हैं।
उन्होंने सेमिकंडक्टर मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में इसी वर्ष माइक्रोचिप का विनिर्माण शुरू हो जायेगा। उन्होंने अंतरिक्ष में भारत की ऊंची उडान का जिक्र किया और कहा कि देश गगनयान मिशन की अपने बल पर सफलता तथा अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में काम कर रहा है। श्री मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भारत अब परमाणु धमकी में आने वाला नहीं है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए सेनाओं को खुली छूट दी गयी है। सिंधु जल संधि को अन्यायपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने भारत के खिलाफ व्यापारिक कार्रवाई कर रहे देशों को करारा संदेश देते हुए दोहराया कि भारत अपने किसानों , पशुपालकों और मछुआरों के हित के साथ कभी कोई समझौता नहीं करेगा और न ही किसी देश के चंगुल में आयेगा। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी की भावना को मजबूत करने के लिए सभी दलों से मिलकर काम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने दुकानदारों से अपनी दुकान पर ‘यहां स्वदेशी माल बिकता है’ के बोर्ड लगाने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्र सेवा की सराहना करते हुए संगठन को उसके शताब्दी वर्ष की शुभकामनाएं भी दी। मोदी ने लाल किले से पिछले संबोधन में किये गये पंच प्रणों का उल्लेख करते हुए कहा , “ विकसित भारत के लिए न रूकेंगे, न झुकेंगे, परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे और 2047 में अपनी आंखों के सामने विकसित भारत बना कर रहेंगे।”विरासत को भारत का गौरव तथा आभूषण बताते हुए उन्होंने कहा कि हम जीवन में, व्यवस्थाओं में और नियम, कानून परंपराओं में गुलामी का एक भी कण नहीं बचने देंगे। उन्होंने देश की एकता को शक्तिशाली मंत्र बताते हुए कहा कि हम एकता की डोर को कटने नहीं देंगे। उन्होंने कहा, “ यह कर्तव्य पूजा और तपस्या से कम नहीं है और उसी भाव से हम सब मातृभूमि के कल्याण के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे।
हम अपने आप को खपा देंगे, जो भी सामर्थ्य है, अवसर है उसे नहीं छोड़ेंगे और नये अवसर बनायेंगे।”उन्होंने भाषण के समापन पर जय हिन्द के उद्घोष से पहले कविता की इन पंक्तियों में अपने भावों का उद्गार करते हुए कहा , “ परिश्रम में जो तपा है , उसने ही इतिहास रचा है। जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा है, उसने ही समय को मोड़ा है। समय को मोड़ देने का भी यही समय है, सही समय है।” उन्होंने कहा कि ये पंक्तियां बहुत सुंदर हैं जो हमें हर क्षण की महत्ता समझने और उसे व्यर्थ न गँवाने के लिए प्रेरित करती हैं।
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