नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)की चेन्नई स्थित एक विशेष अदालत ने 2014 के साकिर हुसैन जासूसी मामले में एक मुख्य आरोपी को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में एक पाकिस्तानी नागरिक और एक श्रीलंकाई नागरिक ने भारत में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और इज़राइली दूतावास में विस्फोट करने की साजिश रची थी।
अदालत ने सजा सुनाते हुए नूरुद्दीन उर्फ रफी उर्फ इस्माइल पर एक हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया। उसे आईपीसी की धारा 120बी सहपठित धारा 489बी और यूए(पी)ए की धारा 16 और 18 के तहत दोषी ठहराया गया। एनआईए की विशेष अदालत के फैसले के अनुसार नूरुद्दीन को एक प्रावधान के तहत दो-दो साल के कठोर कारावास और बाकी तीन प्रावधानों के तहत पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। जुर्माना अदा न करने पर, अभियुक्त को छह महीने की अतिरिक्त साधारण कारावास (एसआई) की सज़ा काटनी होगी। जून 2014 का यह मामला श्रीलंकाई नागरिक मुहम्मद साकिर हुसैन और कोलंबो स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत पाकिस्तानी नागरिक आमिर ज़ुबैर सिद्दीकी के बीच चेन्नई स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और बेंगलुरु स्थित इज़राइली दूतावास को निशाना बनाने की साज़िश से संबंधित था।
एनआईए की जांच से पता चला है कि आमिर ज़ुबैर सिद्दीकी ने साज़िश को आगे बढ़ाने के लिए नकली मुद्रा के आदतन तस्कर नूरुद्दीन उर्फ रफ़ी के ज़रिए नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) की व्यवस्था की थी। एनआईए ने 23 अक्टूबर, 2014 को तीन अभियुक्तों के ख़िलाफ़ अपना पहला आरोपपत्र दायर किया था, जिसके परिणामस्वरूप दो अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया था जबकि एक अभियुक्त सरकारी गवाह बन गया था। नूरुद्दीन और दो अन्य के ख़िलाफ़ 22 फ़रवरी, 2018 को एक पूरक आरोपपत्र दायर किया गया था। मामले में फरार अभियुक्तों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।
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