Artificial rain with drone: जयपुर के जमवारामगढ़ में ड्रोन से कृत्रिम बरसात कराने काम शुरु

Wed, Aug 13 , 2025, 08:56 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

जयपुर: राजस्थान के जयपुर जिले में जवमारामगढ़ बांध क्षेत्र में ड्रोन से कृत्रिम बरसात कराने का पायलट मिशन मंगलवार को शुरु किया गया। राज्य के कृषि मंत्री डा किरोडीलाल मीणा के अथक प्रयास से यह शुरुआत हुई लेकिन पहले दिन पहले तो कृत्रिम बरसात को देखने के लिए लोगों की भीड़ ज्यादा आ जाने से नेटवर्क जाम हो गया और ड्रोन उड़ नहीं पाया। 

हालांकि बाद में भीड़ कम हो जाने के बाद ड्रोन सफलतापूर्वक आसमान में 400 फीट की ऊंचाई तक उड़ा लेकिन कृत्रिम बरसात नहीं हो पाने से लोग इसका नजारा नहीं देख पाये। इस दौरान डा मीणा की मौजूदगी में ड्रोन द्वारा 400 फीट की ऊंचाई तक डेमो सफलतापूर्वक दिया गया।

इस अवसर पर डा मीणा ने कहा कि इस क्लाउड सीडिंग का मुख्य उद्देश्य रामगढ़ झील को पुनर्जीवित करना, जल संकट को कम करना और क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन बहाल करना है। यह एक अनुसंधान एवं विकास आधारित पायलट प्रोजेक्ट है, जिसमें आधुनिक ड्रोन बेस्ड क्लाउड सीडिंग तकनीक और एआई का उपयोग कर वर्षा को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा दिया जायेगा। 

भारत में पहली बार ड्रोन बेस्ड क्लाउड सीडिंग की जा रही है। इसमें ‘हाइड्रो ट्रेस’ नाम का एआई पावर्ड प्लेट फॉर्म इस्तेमाल हो रहा है, जो रियल टाइम डेटा, सेटेलाइट इमेजिंग और सेंसर नेटवर्क की मदद से सही समय और सही बादलों को टारगेट करता है। यह 30 दिनों तक चलने वाला पायलट मिशन है।

उन्होंने बताया कि ड्रोन बेस्ड क्लाउड सीडिंग में ड्रोन को बादलों के पास भेजा जाता है, जहां यह सोडियम क्लोराइड या अन्य सुरक्षित सीडिंग ऐजेंट्स छोड़ता है। इससे बादलों में मौजूद नमी के कण आपस में मिलकर पानी की बूंदों में बदल जाते हैं और बारिश होती है। यह मिशन 12 अगस्त से शुरु होकर लगभग 30 दिनों तक चलेगा शुरुआती प्रभाव तुरंत बारिश के रूप में दिखेगा लेकिन लंबे समय में इसका असर झील के जल स्तर, भुमिगत जल भंडार और कृषि उत्पादन पर पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि यह तकनीक बिल्कुल सुरक्षित है और इसमें इस्तेमाल होने वाले एजेंट्स, बहुत कम मात्रा में और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रयोग किये जाते हैं। यह मानव, पशु तथा फसलों के लिए हानिकारक नहीं हैं। इस पायलट प्रोजेक्ट के दौरान भी पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह रामगढ़ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरु किया गया है। 

अगर यह सफल होता है तो देश और प्रदेश के अन्य सूखा प्रभावित इलाकों में भी इसे लागू किया जा सकता हैं, जिससे जल संकट कम होगा और कृषि को स्थायी पानी का स्रोत मिलेगा। इस प्रोजेक्ट द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा, फसलों की पैदावार बढ़ेगी और सूखे का असर कम होगा। 

साथ ही भूमिगत जल भी रिचार्ज होगा जिससे लंबे समय तक फायदा रहेगा। उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी डेमो ड्रोन को सफलता पूर्वक 400 फीट तक उड़ाया गया और आगामी 30 दिनों में इस तकनीक के माध्यम से कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी।

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