Kohima Exhibition: कोहिमा प्रदर्शनी में झलका पूर्वोत्तर शिक्षा का बहुरंगी इतिहास!

Fri, Aug 08 , 2025, 10:34 PM

Source : Uni India

कोहिमा। पूर्वाेत्तर भारत में शिक्षा (education) के विकास पर आज एक प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें अभिलेखीय दस्तावेजों और शोध सामग्री के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में बहुआयामी इतिहास (Multi-faceted history) को संजोने और प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। नागालैंड की राजधानी कोहिमा स्थित कन्वेंशन सेंटर में आयाजित की गई प्रदर्शनी के मौके पर भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) ने नागालैंड उच्च शिक्षा विभाग के साथ साझेदारी की।

यह स्वदेशी परंपराओं, मशीनरी विरासतों, औपनिवेशिक ढांचे और आधुनिक राज्य नीतियों के बीच परस्पर क्रिया को उजागर करने का प्रयास करता है। जिन्होंने सामूहिक रुप से शिक्षा के शैक्षिक संस्थानों को आकार दिया है। शिक्षा के विकास को कालानुक्रमिक और विषयगत रुप से दर्शाते हुए, प्रदर्शनी इसमें आए लोगों को यह जानने का अवसर प्रदान करती है कि पूर्वोत्तर भारत में शिक्षा किस प्रकार व्यापक सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता के प्रतिबिम्ब और प्रतिक्रिया के रुप में विकसित हुई है।


उच्च शिक्षा और पर्यटन मंत्री टेमजेन इम्ना ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयोजन को नागालैंड़ के लिए ऐतिहासिक करार दिया तथा राज्य में इस तरह की प्रदर्शनी को महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा की प्रगति को लेकर ये एक बहुत बड़ा और सराहनीय कदम है। नागाओं में स्थानीय लिपि के अभाव पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि लिखित दस्तावेज के अभाव के बावजूद, समुदाय ने लंबी दूरी तय की है, जो दैवीय संरक्षण का प्रमाण है। उन्होंने अभिलेखीकरण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अभिलेखागार किसी समुदाय की संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने और उसका दस्तावेजीकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।


उन्होंने ईसाई मिशनरीज़ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जब बहुत कम लोग इस क्षेत्र में आने का साहस कर पाते हैं तब वे नागा पहाड़ियों में अपनी निस्वार्थ सेवा लेकर आए। उन्होेंने कहा, "ये सिर्फ उन्ही की सेवा की बदोलत है कि नागाओं को शिक्षा प्राप्त हुई और आज नागालैंड देश में दूसरा सबसे साक्षर राज्य है।" भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक समर नंदा ने इस मौके पर कहा कि संस्कृति को संरक्षित रखना भविष्य को समझने और उसे आकार देने की कुंजी है। उन्होंने प्रदर्शनी का उल्लेख करते हुए पूर्वोत्तर भारत, विशेष तौर पर नागालैंड में शिक्षा की यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा "सीखने का कोई अंत नहीें है। हमें अपने आस-पास हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बनाते रहना चाहिए"। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी इस बात की झलक प्रस्तुत करती है कि किस प्रकार पिछले दशकों में भारत में शिक्षा में बदलाव आया है।

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