Hari Ki Pauri: उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी (Har Ki Pauri) का नाम आपने कई बार सुना होगा और शायद आप वहाँ गए भी होंगे। लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से यहाँ स्नान करने आते हैं। हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पौड़ी नाम क्यों और कैसे पड़ा? इस पवित्र स्थान का नाम पहले भर्तृहरि की पौड़ी (Bhartrihari Ki Pauri) था, जो उज्जैन के राजा भर्तृहरि के नाम पर रखा गया था। बाद में इस स्थान का नाम हर की पौड़ी पड़ा। आइए आपको हर की पौड़ी नाम की पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में बताते हैं।
हर की पौड़ी का अर्थ...
हर की पौड़ी नाम का अर्थ है "हरि के चरण" या "भगवान विष्णु के चरण"। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर गंगा नदी (Ganges River) के तट पर अपने चरण रखे थे, इसलिए इसका नाम भर्तृहरि की पौड़ी पड़ा। एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई की स्मृति में इस घाट का निर्माण करवाया था, जो यहाँ ध्यान करने आए थे। इसलिए इसका नाम भर्तृहरि की पौड़ी पड़ा।
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तृहरि ने अपना राज्य छोड़कर हर की पौड़ी के ऊपर पहाड़ी पर कई वर्षों तक तपस्या की थी। जिस रास्ते से भर्तृहरि गंगा स्नान के लिए उतरे थे, उस रास्ते पर राजा विक्रमादित्य ने सीढ़ियाँ बनवाईं और भर्तृहरि ने इन सीढ़ियों का नाम पौड़ी रखा। बाद में ये सीढ़ियाँ हर की पौड़ी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। भर्तृहरि के नाम में भी हरि का समावेश है, इसलिए इस स्थान को हर की पौड़ी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर की पौड़ी वही स्थान है जहाँ गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी।
यहाँ गिरी थीं अमृत की बूँदें
हर की पौड़ी से जुड़ी एक और कथा है जिसके अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान, जब सभी देवी-देवता अमृत के लिए संघर्ष कर रहे थे, भगवान धन्वंतरि दैत्यों से अमृत ले रहे थे। तभी उस अमृत की कुछ बूँदें धरती पर गिर गईं। कहा जाता है कि जहाँ-जहाँ अमृत की बूँदें गिरी थीं, वे स्थान धार्मिक महत्व के स्थल बन गए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत की बूँदें मुख्यतः 4 स्थानों पर गिरी थीं, जो इस प्रकार हैं - हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज। इन्हीं स्थानों में से एक है हर की पौड़ी। इसी कारण यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और मोक्षदायी माना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ स्नान मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
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Tue, Aug 05 , 2025, 09:38 PM