Friends : ज़िंदगी में कितने दोस्त चाहिए? डिजिटल भीड़ में 'खामोश अकेलेपन' की डरावनी सच्चाई रिपोर्ट में उजागर

Sun, Aug 03 , 2025, 10:54 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। कई लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट पर कमेंट्स और लाइक्स की भरमार होती है, उनके दोस्तों और फ़ॉलोअर्स (Friends and Followers) की लिस्ट लंबी होती है। फिर भी, मुश्किल समय में उनमें से कई लोग अकेलापन महसूस करते हैं। न्यूज़ कॉर्प के 'ग्रोथ डिस्टिलरी' और मेडिबैंक के एक नए अध्ययन में इस डरावनी सच्चाई का खुलासा हुआ है। यानी, डिजिटल भीड़ के पीछे छिपे अकेलेपन का खुलासा हुआ है।

सिर्फ़ दो दोस्तों का फ़र्क़, लेकिन असर बहुत बड़ा
इस अध्ययन के अनुसार, जो लोग मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, उनके औसतन पाँच या उससे ज़्यादा दोस्त होते हैं। लेकिन जो लोग मानसिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं, उनके सिर्फ़ तीन दोस्त होते हैं। दो दोस्तों का यह छोटा सा फ़र्क़ बहुत बड़ा असर डालता है। इसलिए, 'मैं चुप रहता हूँ ताकि कोई परेशान न हो' की भावना से एक व्यक्ति 'मैं स्थिति को संभाल सकता हूँ' की स्थिति में पहुँच जाता है।

उनके साथ होते हुए भी आप दूरी क्यों महसूस करते हैं?
हालाँकि आजकल का सामाजिक जीवन व्यस्त है, लेकिन यह सतही है। कई लोग कार्यक्रमों में जाते हैं, ग्रुप चैट में सक्रिय रहते हैं, उनके सैकड़ों दोस्त होते हैं। लेकिन जब कोई संकट आता है, तो ऐसे लोग किसी को फ़ोन करने से बचते हैं।

कहा जाता है कि हम थोड़े व्यस्त हैं
ऐसे समय में, हमारे पास ऐसे दोस्त नहीं होते जिनसे हम अपनी समस्याएँ ठीक से बता सकें। हम अपनी समस्याओं के बारे में दूसरों को बताने से बचने की कोशिश करते हैं, ताकि दूसरों पर बोझ न पड़े, या वे हमें कमज़ोर न समझें। ऐसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में, अगर कोई हमसे कुछ पूछता है, तो हम 'थोड़ा थका हुआ हूँ' या 'बहुत व्यस्त हूँ' कहकर समय काट लेते हैं। असल में, हम बहुत थके हुए होते हैं।

असली रिश्ता क्या होता है?
रिपोर्ट कहती है कि असली रिश्ता 50 या 100 दोस्तों का होना नहीं, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति होना है जो बिना किसी हिचकिचाहट के आपका फ़ोन उठाए, आपकी मदद के लिए आए। इसी तरह, आप किसी भी समय, चाहे कोई भी समय हो, मदद के लिए उससे संपर्क करेंगे।

पाँच दोस्त ही काफी हैं
हम लगातार ऑनलाइन रहते हुए भी किसे फ़ोन करेंगे? या सोशल मीडिया पर आपके कितने दोस्त हैं जो आपसे मिलने और बात करने के लिए समय निकालते हैं? आखिरकार, अगर आप किसी मुसीबत में हों, तो आप किसे बुलाएँगे?

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, आपके जीवन में सैकड़ों नहीं, बल्कि सिर्फ़ पाँच सच्चे दोस्त होना ही काफ़ी है। ये दोस्त आपकी मदद के लिए आएंगे और आप भी उनकी मदद के लिए।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए आपको किसी चिकित्सक या विशेष रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए बस एक सच्चा दोस्त ही काफ़ी है।
पाँच भरोसेमंद दोस्त ही काफ़ी हैं। यह रिपोर्ट दृढ़ता से कहती है। हालाँकि यह संख्या छोटी लग सकती है, लेकिन यह ज़रूरी है।
एक ईमानदार, भावनात्मक बातचीत भावनात्मक सुरक्षा की नींव भी रख सकती है।

दिखावटी रिश्तों से आगे बढ़ें और न सिर्फ़ दूसरों के साथ, बल्कि ख़ुद के साथ भी ईमानदार रहें। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर रिश्ते बनाते समय, यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि सच्ची दोस्ती इमोजी या मीम्स में नहीं, बल्कि मुश्किल समय में मिलने वाले साथ में होती है।
दुनिया में हर कोई एक-दूसरे के संपर्क में है, लेकिन अगर कोई संकट आए, तो आप किसे बुलाएँगे? यहीं सच्चाई और विश्वास का रिश्ता बनता है।

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