Sugar appropriate for young children: छोटे बच्चों के लिए कितनी चीनी उचित है? जानें

Thu, Jul 31 , 2025, 09:51 PM

Source : Uni India

Sugar Effects: हमारे देश में बच्चों को उनकी उपलब्धियों पर मिठाई या चॉकलेट देकर पुरस्कृत करना एक आम रिवाज़ है। हम ये सब प्यार से करते हैं, होमवर्क पूरा करने पर आइसक्रीम, अच्छे नंबर आने पर चॉकलेट या जन्मदिन पर बड़ा केक। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बचपन में ज़्यादा चीनी देने से आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ (health problems) हो सकती हैं? एक नए अध्ययन के अनुसार, अगर बच्चों को शुरू से ही कम चीनी दी जाए, तो उनमें मधुमेह और मोटापे का ख़तरा काफ़ी कम हो सकता है।

हमें बचपन में ज़्यादा चीनी खाने से क्यों बचना चाहिए?

डॉक्टरों के अनुसार, ज़्यादा चीनी बच्चों में पेट की समस्या, 'फैटी लिवर' और 'मूड स्विंग्स' जैसी समस्याएँ पैदा कर सकती है। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (WHO) के अनुसार, बच्चों की कुल कैलोरी का केवल 5% ही चीनी से आना चाहिए। इसका मतलब है कि बच्चों को एक दिन में 4 से 5 चम्मच से ज़्यादा चीनी नहीं देनी चाहिए। दो साल से कम उम्र के बच्चों को 'अतिरिक्त चीनी' बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। चूँकि छोटे बच्चों का शरीर और पाचन तंत्र प्रसंस्कृत चीनी को पचाने के लिए तैयार नहीं होता, इसलिए इस उम्र में विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

प्राकृतिक और प्रसंस्कृत चीनी में अंतर
दूध, फलों और सब्जियों में प्राकृतिक मिठास पाई जाती है, जिनमें फाइबर, विटामिन और खनिज जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी होते हैं। यह चीनी शरीर के लिए फायदेमंद होती है और धीरे-धीरे पचती है। दूसरी ओर, प्रसंस्कृत या 'अतिरिक्त चीनी' बिस्कुट, फ्लेवर्ड दही, सॉस, पैक्ड जूस जैसे खाद्य पदार्थों में पाई जाती है। इसमें केवल 'खाली कैलोरी' होती है जो शरीर को पोषण नहीं देती। यह चीनी बढ़ते मोटापे, मधुमेह और दंत समस्याओं का मुख्य कारण है।

बच्चों को 'शुगर स्मार्ट' कैसे बनाएँ?
बच्चों को मीठा खाने की आदत से बचाने के लिए उन्हें रोज़ाना मिठाई देने से बचें। अगर किसी दिन बच्चे ने किसी पार्टी में केक खाया है, तो उस दिन उसे कोई और मीठी चीज़ न दें। आइसक्रीम, चॉकलेट जैसी चीज़ें महीने में केवल 2-3 बार ही दें। इसके बजाय, अपने बच्चों को फल, सूखे मेवे, मक्खन, पीनट बटर या घर पर बने हेल्दी स्नैक्स खिलाएँ। जब उन्हें मीठा खाने की तीव्र इच्छा हो, तो उन्हें गुड़, खजूर जैसे स्वास्थ्यवर्धक विकल्प दें। इस तरह, आप धीरे-धीरे उनके स्वाद की आदतों को बदलकर उन्हें 'शुगर स्मार्ट' बना सकते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होगा।

बाजार में आकर्षक पैक और विज्ञापन देखकर बच्चे अक्सर मीठे खाद्य पदार्थों की माँग करते हैं। ऐसे में, माता-पिता को शुरू से ही अपने बच्चों में स्वस्थ खान-पान की आदतें डालनी चाहिए। अगर हम आज से ही अपने बच्चों को 'शुगर स्मार्ट' बना दें, तो वे न केवल बीमारियों से दूर रहेंगे, बल्कि ज़्यादा सक्रिय और खुश भी रहेंगे।

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