Eating with Hands: जब हम खाने की बात करते हैं, तो हम आसानी से चम्मच, काँटा या चाकू का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति में, बहुत पुराने समय से ही हाथ से खाने की एक अनोखी परंपरा रही है। यह परंपरा आधुनिक जीवनशैली में भी कायम है और सिर्फ़ एक आदत तक सीमित नहीं है।
ऐसा नहीं है की खाना खाने के लिए हम चम्मच या कांटे का इस्तेमाल नहीं करते लेकिन हाथ से खाने के पीछे स्वास्थ्य, संस्कृति, मानसिक संतुष्टि और सामाजिक बंधनों को मज़बूत करने के कई पहलू हैं। प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा आज के विज्ञान की दृष्टि से भी लाभकारी है। लेकिन हाथ से खाने के पीछे असली राज़ क्या है, इसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करना ज़रूरी है।
हाथ से खाने और स्वास्थ्य के बीच संबंध
हमारी उंगलियों और हथेलियों में कई मांसपेशियाँ होती हैं जो सीधे मस्तिष्क से जुड़ी होती हैं। जब हम भोजन को अपने हाथों से छूते हैं, तो वे संवेदनाएँ मस्तिष्क तक पहुँचती हैं और इस प्रकार पाचन क्रिया अधिक कुशल हो जाती है। हाथों की गर्माहट और हल्का दबाव भोजन में रस के स्राव में मदद करता है। इससे शरीर को भोजन ठीक से पचाने में मदद मिलती है और पोषक तत्वों को अवशोषित करना आसान हो जाता है।
संयमित भोजन करने की स्वाभाविक आदत
जब हम चम्मच या कांटे से खाते हैं, तो हमें इस बात का कम एहसास होता है कि हम कितना खाना खा रहे हैं। हालाँकि, जब हम अपने हाथों से खाते हैं, तो हम अपनी ज़रूरत के अनुसार खा लेते हैं। इससे ज़्यादा खाने से बचाव होता है और भोजन के साथ एक स्वस्थ रिश्ता बनता है। कई आहार विशेषज्ञों के अनुसार, संयमित भोजन करने की आदत विकसित करने के लिए हाथों से खाना एक बेहतरीन विकल्प है।
सचेतन भोजन का अनुभव
हाथों से भोजन करने से भोजन के साथ एक अलग रिश्ता बनता है। जब आप भोजन के स्पर्श, गंध और स्वाद को एक साथ अनुभव करते हैं, तो भोजन अधिक आनंददायक लगता है। इस तरह भोजन पर ध्यान केंद्रित करने से हम जल्दबाजी में खाने से बचते हैं, पाचन में सुधार करते हैं और शरीर के लिए आवश्यक पोषण प्राप्त करते हैं। इसे 'सचेतन भोजन' कहा जाता है और यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
भारतीय संस्कृति में सामाजिक बंधन
हाथों से खाना केवल खाने का एक तरीका नहीं है, बल्कि रिश्तों को मजबूत करने का एक तरीका है। एक ही थाली में खाना और खाना साझा करने से आत्मीयता बढ़ती है। यह परंपरा जीवन के हर क्षेत्र में पाई जाती है, चाहे वह घर का साधारण भोजन हो या कोई बड़ा उत्सव।
सफ़ाई का सजग ध्यान
कुछ लोग सोचते होंगे कि हाथ से खाना अशुद्ध है, लेकिन भारतीय परंपरा में खाने से पहले हाथ धोने को बहुत महत्व दिया जाता है। पुराने ज़माने में, नीम और राख जैसी प्राकृतिक चीज़ों से हाथ धोए जाते थे। आज भी, खाने से पहले हाथ धोने की आदत इस परंपरा का एक अहम हिस्सा है। इसलिए, स्वच्छता बनाए रखते हुए हाथों से खाने का आनंद लिया जा सकता है।
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Thu, Jul 31 , 2025, 09:30 AM