National Human Rights Commission: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास लगभग 34000 मामले लंबित!

Tue, Jul 29 , 2025, 06:26 PM

Source : Uni India

हैदराबाद। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन (V Ramasubramanian) ने मंगलवार को बताया कि आयोग के पास वर्तमान में 34,685 से अधिक मामले लंबित हैं। न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने हैदराबाद स्थित डॉ. एमसीआर मानव संसाधन विकास संस्थान में आयोग के दो दिवसीय शिविर के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आयोग देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन संबधित मामलों पर सक्रिय रूप से स्वतः संज्ञान ले रहा है।

उन्होंने कहा "2021 में हमने ऐसे 17 मामले उठाए, 2022 में यह संख्या बढ़कर 60, 2023 में 107 और 2024 में 105 हो गई। अब 2025 के मध्य तक यह संख्या 50 से अधिक हो गयी है। " आयोग ने हैदराबाद में शिविर के दौरान दो खंडपीठों और एक पूर्ण आयोग सत्र के माध्यम से 87 मामलों का निपटारा किया जिनमें क्रमशः 36 और 51 मामले खंडपीठों द्वारा और 19 मामले पूर्ण पैनल द्वारा निपटाए गए। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि आयोग ने हिरासत में हुई मौतों के मामलों में मुआवज़े के आदेश जारी कर दिए हैं। इनमें से अधिकांश भुगतान पहले ही किए जा चुके हैं और अन्य चार हफ्तों के भीतर होने की उम्मीद है।

न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने कहा "तेलंगाना में हमारे पास केवल 780 मामले लंबित हैं। इनमें पुलिस हिरासत में हुई मौतों के चार मामले और न्यायिक हिरासत में हुई मौतों के 30 मामले शामिल हैं।" आयोग ने महिला एवं बाल कल्याण, शिक्षा के बुनियादी ढाँचे, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण और दिव्यांगजनों के लिए सहायता से संबंधित मुद्दों की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य विभाग प्रमुखों सहित राज्य के अधिकारियों के साथ व्यापक बातचीत की। इस दौरान आयोग ने तेलंगाना सरकार (Telangana Government) से कई मामलों पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में आयोग के सदस्यों ने गैर-सरकारी संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें हाशिए पर रह रहे लोगों और कमज़ोर समुदायों के अधिकारों तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के तरीकों पर लिखित सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया।


न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देते हुए कहा "हम समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर कड़ी नज़र रखते हैं। जब भी हमें हिरासत में मौत, खुले नालों में गिरने से मौत, स्कूलों या छात्रावासों में लापरवाही के कारण आत्महत्या जैसी घटनाओं का पता चलता है, हम कार्रवाई करते हैं। मीडिया हमें समाज की नब्ज़ पढ़ने में मदद करता है।" उन्होंने कुछ हालिया मामलों का हवाला दिया जिनमें एक किशोर को गलत तरीके से 40 दिनों की जेल हुई थी। इस बाबत उसे मुआवज़ा दिया गया । इसी प्रकार स्कूलों में बड़े पैमाने पर खाद्य विषाक्तता के मामले शामिल हैं जिनकी जाँच की जा रही है।

अध्यक्ष ने एक उल्लेखनीय हस्तक्षेप का भी उल्लेख किया जहाँ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार से अपहृत एक लड़की का पता लगाने और उसे बचाने में मदद की। वह राजस्थान में मिली थी और सीमा पार मानव तस्करी के लिए भेजी जाने वाली थी। वैश्विक मानव स्वतंत्रता सूचकांकों में भारत की रैंकिंग पर न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने इस रैंकिंग में असमानताओं को स्वीकार करते हुए कहा कि आयोग नीति कार्यान्वयन में सुधार के लिए राज्य सरकारों के साथ नियमित रूप से बातचीत करता है उन्होंने कहा "हम यहाँ केवल बोलने के लिए नहीं हैं। हम यहाँ सुनने के लिए हैं। मीडिया की, कार्यकर्ताओं की और अधिकारों के उल्लंघन का सामना करने वालों की हम सुनेंगे। यह सहयोग वास्तविक बदलाव की कुंजी है।"

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