पटना: वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य की राजस्व प्राप्तियों में पिछले वर्ष की तुलना में 11.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि राजस्व व्यय में पिछले वर्ष की तुलना में 3.55 प्रतिशत बढ़ा है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा जारी वर्ष 2023-24 के लिए बिहार सरकार के राज्य वित्त पर रिपोर्ट को बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आज राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किया। चौधरी द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पिछले वर्ष की तुलना में 14.47 प्रतिशत बढ़ा।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य के राजस्व व्यय में विगत वर्ष की तुलना में 3.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई वहीं राजस्व प्राप्तियों में विगत वर्ष की तुलना में 11.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य की देनदारियों में विगत वर्ष की तुलना में 12.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई। राज्य की कुल बकाया देनदारियों में आंतरिक ऋण का योगदान 59.26 प्रतिशत था। आंतरिक ऋण के तहत निवल देनदारियों में विगत वर्ष के तुलना में 13.51 प्रतिशत ( 28,107.06 करोड़) की वृद्धि हुई।
वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य ने विगत वर्ष के 11,288.20 करोड़ के राजस्व घाटा के तुलना में 2,833.06 करोड़ का राजस्व अधिशेष दर्ज किया। राज्य का राजकोषीय घाटा वर्ष 2022-23 में 44,823.30 करोड़ से घटकर वर्ष 2023-24 में 35,659.88 करोड़ हो गया। वर्ष 2023-24 में, राज्य ने 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका। यद्यपि कुल बकाया देनदारियों का (जीएसडीपी) से अनुपात आयोग द्वारा निर्धारित स्तर के अधीन रहा।
रिपोर्ट के अध्याय दो में राज्य का वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, पिछले वर्ष की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में 20,659 करोड़ (11.96 प्रतिशत) की वृद्धि हुई। इसी प्रकार, केंद्रीय करों एवं शुल्कों में राज्य के हिस्से और स्व-कर राजस्व का योगदान पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 18.95 प्रतिशत (18,094 करोड़) और 9.87 प्रतिशत (4,343 करोड़) बढ़ गया। इसके अलावा, गैर-कर राजस्व में 27.14 प्रतिशत (1,122 करोड़) की वृद्धि हुई जबकि भारत सरकार से प्राप्त सहायता अनुदान में पिछले वर्ष की तुलना में 9.99 प्रतिशत ( 2,900 करोड़) की कमी आई।
वर्ष 2023-24 की अवधि के दौरान पूंजीगत प्राप्तियां भी विगत वर्ष की तुलना में 48,325 करोड़ से बढ़कर 60,314 करोड़ हो गई। राज्य के पूंजीगत प्राप्तियों में 49,546 करोड़ की राशि का आंतरिक ऋण प्रमुख योगदानकर्ता (82.15 प्रतिशत) था। वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य सरकार के कुल व्यय को पूरा करने के लिए पिछले वर्ष की तुलना में अतिरिक्त निधि (24.72 प्रतिशत वृद्धि) ऋण के रूप में लेनी पड़ी। जीएसडीपी के सापेक्ष राजस्व व्यय 2019-20 के 1,26,017 करोड़ (जीएसडीपी का 21.66 प्रतिशत) से बढ़कर 2023-24 के 1,90,514 करोड़ (जीएसडीपी का 22.30 प्रतिशत) हो गया।
हालांकि, कुल व्यय के सापेक्ष राजस्व व्यय उसी अवधि में 90.67 प्रतिशत से घटकर 83.16 प्रतिशत हो गया।ब्याज भुगतान, वेतन और पेंशन सहित प्रतिबद्ध व्यय 2023-24 के दौरान राज्य के राजस्व व्यय के 36.89 प्रतिशत और राजस्व प्राप्तियों के 36.35 प्रतिशत थे। प्रतिबद्ध व्यय 8.86 प्रतिशत के औसत दर से 2019-20 में 48,477.72 करोड़ से 2023-24 में 70,282.32 करोड़ हो गया। वर्ष 2019-20 से 2023-24 की अवधि में जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में पूंजीगत व्यय 2.11 प्रतिशत से बढ़कर 4.27 प्रतिशत हो गया है । इसमें पिछले वित्तीय वर्ष के सापेक्ष 4,933.82 करोड़ (15.65 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2019-20 से 2023-24 के दौरान, जीएसडीपी के सापेक्ष राज्य के कुल बकाया का अनुपात 33.24 प्रतिशत से 40.01 प्रतिशत के बीच था। देनदारियों के प्रमुख घटक आंतरिक देयता (चालू वर्ष के दौरान 70.99 प्रतिशत) था, जिसमें बाजार के उधार शामिल थे।आंतरिक देयता राज्य की बकाया देनदारियों का जीएसडीपी से अनुपात (38.94 प्रतिशत) 15वें वित्त आयोग तथा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन सीमा (40.40 प्रतिशत) के भीतर था लेकिन अपने बजट तथा मध्यम अवधि राजकोषीय योजना सीमा (37.81 प्रतिशत) से पीछे था।
तीसरे अध्याय बजटीय प्रबंधन में दिए विवरण के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, राज्य का कुल बजट 3,26,230.12 करोड़ था।राज्य ने मात्र 2,60,718.07 करोड़ (कुल बजट का 79.92 प्रतिशत) खर्च किया जो मूल बजट से कम था। राज्य ने कुल बचत 65,512.05 करोड़ में से केवल 23,875.55 करोड़ (36.44 प्रतिशत) ही प्रत्यर्पित किया। राज्य ने दो अनुदानों (अनुदान संख्या 41 एवं 42) में बजटीय प्रावधानों से 39.47 करोड़ अधिक व्यय किया।राज्य का बजट परिव्यय (वास्तविक व्यय) वर्ष 2019-20 में 1,49,641.92 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 2,60,718.07 करोड़ हो गया।
वर्ष के दौरान, आठ अनुदानों (प्रत्येक में 500 करोड़ या उससे अधिक की बचत) के तहत बचत, वर्ष 2023-24 के दौरान कुल बचत का 42 प्रतिशत ( 27,852 करोड़) था। अधिकांश बचत ग्रामीण विकास ( 9,483 करोड़), स्वास्थ्य (6,631 करोड़), ग्रामीण कार्य ( 5,162 करोड़), आपदा प्रबंधन (2,659 करोड़) और कृषि ( 1,951 करोड़) विभागों से संबंधित था। 17 अनुदानों में, 30 प्रतिशत से अधिक की महत्वपूर्ण बचत हुई। इन अनुदानों के तहत कुल बचत 29,609 करोड़ था।रिपोर्ट के चौथे अध्याय में लेखे की गुणवत्ता एवं वित्तीय प्रतिवेदन पेश किया गया है।
इसमें गैर बजट उधारी राज्य सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम के माध्यम से गैर बजट उधारी के रूप में 53.48 करोड़ जुटाए जो राज्य की संचित निधि में प्रवाहित नहीं हुए परंतु इसे बजट के माध्यम से चुकाया और दिया जाना अपेक्षित है। उपयोगिता प्रमाण पत्रः 31 मार्च 2024 तक महालेखाकार (लेखा और हकदारी), बिहार को 70,877.61 करोड़ के लंबित, 49,649 (यूसी) प्राप्त होने बाकी थे। सार आकस्मिकता विपत्र : 31 मार्च 2024 तक 22,130 (एसी) विपत्र के विरूद्ध 9,205.76 करोड़ का सार आकस्मिक विपत्र लंबित था, जिसमें से 7,120.02 करोड़ के 21,646 (एसी) विपत्र वर्ष 2022-23 तक की अवधि से संबंधित था।
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