नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने रेणुकास्वामी हत्याकांड में कन्नड़ फिल्म अभिनेता दर्शन (Darshan) और अन्य आरोपियों को उच्च न्यायालय (High Court) की ओर दी गई जमानत को चुनौती देने वाली कर्नाटक सरकार की याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने इस मामले में उच्च न्यायालय के नजरिए पर बेहद तल्ख टिप्पणियां कीं और कहा कि जिस तरह से आदेश सुनाया गया, उससे ऐसा लग रहा है कि यह बरी करने का मामला है। उच्च न्यायालय ने तीन दिसंबर-2024 को पारित अपने आदेश दर्शन को जमानत दी थी।
पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “हमें उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से परेशानी हो रही है। जमानत आवेदनों पर जिस तरह से कार्रवाई की जाती है, उसे देखिए। उन्होंने (न्यायाधीश) कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के मामले में गिरफ्तारी का आधार निर्दिष्ट नहीं किया गया है। क्या यह विद्वान न्यायाधीश की समझ है? और वह भी उच्च न्यायालय की? हम समझ सकते हैं कि एक सत्र न्यायाधीश ऐसी गलतियां कर सकता है। एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश ऐसी गलती कर सकता है?” पीठ ने पूछा, “जिस तरह से उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है, यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है... क्या उच्च न्यायालय सभी ज़मानत मामलों में एक ही तरह के आदेश देता है?” वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, अधिवक्ता डी एल चिदानंद और अनिल सी निशानी ने कर्नाटक सरकार का पक्ष रखा, जबकि दर्शन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने दलीलें पेश कीं।
अधिवक्ता दवे ने उच्च न्यायालय के आदेश का बचाव करते हुए तर्क दिया कि उसके निष्कर्ष केवल प्रारंभिक होने के कारण निचली अदालत के लिए बाध्यकारी नहीं होंगे। उन्होंने तर्क दिया कि दो चश्मदीद गवाहों के बयानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके बयान दर्ज करने में देरी हुई थी। शीर्ष न्यायालय ने रेणुकास्वामी हत्या मामले में कन्नड़ अभिनेता दर्शन को उच्च न्यायालय द्वारा ज़मानत दिए जाने पर गत 17 जुलाई को भी अपनी आपत्ति व्यक्त की थी और कहा था कि जिस तरह से उच्च न्यायालय ने अपने विवेक का प्रयोग किया, उससे वह बिल्कुल भी आश्वस्त नहीं है। अभिनेता दर्शन को 11 जून-2024 को चित्रदुर्ग निवासी 33 वर्षीय रेणुकास्वामी की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता का शव नौ जून-2024 को बेंगलुरु में एक नाले के पास मिला था।
पुलिस के अनुसार रेणुकास्वामी ने कथित तौर पर 47 वर्षीय दर्शन की सहयोगी पवित्रा गौड़ा को अश्लील संदेश भेजे थे। इस संदेश से दर्शन नाराज था। पुलिस जांच में अभिनेता दर्शन उनकी करीबी दोस्त पवित्रा गौड़ा और 15 अन्य सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। बेंगलुरु पुलिस ने तीन सितंबर को एक आरोप पत्र भी दायर किया जिसमें पवित्रा को आरोपी नंबर एक और दर्शन को आरोपी नंबर दो के रूप में नामित किया गया। पुलिस ने दावा किया कि रेणुकास्वामी द्वारा पवित्रा को आपत्तिजनक संदेश भेजने के कारण उसकी हत्या की गई। अभिनेता को पहली बार 30 अक्टूबर, 2024 को चिकित्सा आधार पर अंतरिम ज़मानत दी गई थी। सभी 17 आरोपी फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं।
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Thu, Jul 24 , 2025, 09:18 PM