Brahmakamal Facts: ऐसा माना जाता है कि अगर आप अपने घर में ब्रह्मकमल लगाते हैं, तो देवी लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है। लेकिन आपके घर में लगा पौधा असल में असली ब्रह्मकमल नहीं है। तो आइए जानें कि ब्रह्मकमल कैसा होता है और यह कहाँ खिलता है। कई लोग आधी रात को खिलने वाले सफेद फूलों को देखकर इसकी पूजा करते हैं। लेकिन ये फूल असल में ब्रह्मकमल नहीं हैं। ये फूल कैक्टस प्रजाति के होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम एपिफ़िलम ऑक्सीपेटालम (DC.) हॉवर्थ है।
असली ब्रह्मकमल भारत के हिमालयी क्षेत्र में समुद्र तल से लगभग 3700 से 4500 मीटर की ऊँचाई पर खिलता है। इस फूल का वैज्ञानिक नाम सौसुरिया ओबवल्लाटा (DC.) श्.बिप है। यह फूल सूरजमुखी परिवार का है और जुलाई-अगस्त में खिलता है। फूल का ऊपरी भाग बैंगनी रंग का होता है और पंखुड़ियाँ हरे-पीले कागज़ जैसे घेरे में लिपटी हुई प्रतीत होती हैं।
यह संरचना प्रकृति द्वारा बर्फबारी के दौरान फूल के अंदर मौजूद 3-4 छोटे फूलों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। ब्रह्मकमल को देवताओं का पुष्प भी कहा जाता है। ब्रह्मकमल के फूल केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री इन चारों धामों के देवताओं को अर्पित किए जाते हैं। ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है।
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Thu, Jul 24 , 2025, 10:30 AM