Ammunition test: स्वदेशी गोला-बारूद के सफल परीक्षण से सेना को मिली नयी ताकत!

Wed, Jul 23 , 2025, 06:37 PM

Source : Uni India

जैसलमेर। राजस्थान में जैसलमेर जिले के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (Pokhran Field Firing Range) में स्वदेशी रूप से विकसित गोला-बारूद का सफल परीक्षण किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि इस परीक्षण को ‘सदा आगे’ परियोजना के तहत अंजाम दिया गया, जिसे भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान संगठनों की संयुक्त पहल माना जा रहा है। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’(India and Atmanirbhar Bharat) जैसी राष्ट्रीय पहलों के लिए प्रेरणादायक उपलब्धि है।

भारतीय सेना (Indian Army) लंबे समय से तोपखाने के लिए आयातित गोला-बारूद (Ammunition) पर निर्भर रही है, लेकिन अब स्वदेशी उत्पादन की दिशा में उठाया गया यह कदम आने वाले वर्षों में देश को सैन्य आपूर्ति में आत्मनिर्भर बना देगा। सेना के सूत्रों के अनुसार, पोखरण में हुए ये परीक्षण अत्यंत सफल रहे और तय मानकों के अनुरूप सभी तकनीकी मानकों पर खरे उतरे। इससे अब भारत में ही तोपखाना गोला-बारूद का बड़े स्तर पर उत्पादन करने का रास्ता साफ हो गया है।

सूत्रों के अनुसार यह गोला बारूद परीक्षण का उद्देश्य गोला-बारूद और अन्य रक्षा सामग्री के निर्माण में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के माध्यम से सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को रक्षा उत्पादन में भागीदार बनाया जा रहा है। इन परीक्षणों में इस्तेमाल किया गया गोला-बारूद पूरी तरह से देश में विकसित तकनीक से निर्मित किया गया है, जिससे विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी और बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।

पोखरण की धरती पहले भी परमाणु परीक्षणों और मिसाइल तकनीक के ऐतिहासिक परीक्षणों की गवाह रही है। अब एक बार फिर पोखरण भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है। इस उपलब्धि के साथ यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अब देश के निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र रक्षा उत्पादन में साथ आ सकेंगे। बड़े उद्योग समूहों के साथ-साथ मध्यम और लघु उद्योगों को भी तोपखाने के गोला-बारूद निर्माण में अवसर मिल सकेंगे। इससे न केवल रोजगार सृजित होंगे, बल्कि रक्षा उत्पादन का एक विशाल घरेलू बाजार भी आकार लेगा।

सेना के सूत्रों ने बताया कि परीक्षणों के बाद अब सेना की मांग के अनुसार बड़े स्तर पर स्वदेशी गोला-बारूद का उत्पादन किया जायेगा। इससे सेना को न केवल समय पर आपूर्ति मिलेगी, बल्कि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जरूरत के वक्त भारत को किसी बाहरी देश की ओर न देखना पड़े। यह आत्मनिर्भरता सिर्फ कागज़ों पर नहीं, अब जमीन पर दिखाई देने लगी है। परीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि यह भारत की रक्षा नीति में एक निर्णायक मोड़ है। उन्होंने बताया कि यह सफलता सिर्फ तकनीकी नहीं है, बल्कि यह भारत के सामरिक आत्मविश्वास की झलक भी है। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति का यह प्रत्यक्ष परिणाम है कि अब भारत अपने दम पर अपनी सेना को हथियारों से युक्त कर पा रहा है। पहले जो गोला-बारूद विदेशों से मंगाया जाता था, अब उनका देश में ही उत्पादन किया जायेगा।

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